पंजाब में आप की चुनौती
आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने बुधवार को शहीदे आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में बड़ी संख्या में आम लोगों की मौजूदगी के बीच पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
नवभारत टाइम्स: आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने बुधवार को शहीदे आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में बड़ी संख्या में आम लोगों की मौजूदगी के बीच पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह की यह सांकेतिकता भी महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे ज्यादा अहम है वह विश्वास जो पंजाब के लोगों ने इस अपेक्षाकृत नई पार्टी को 117 में से 92 सीटों का विशाल बहुमत सौंपकर जताया है। जिस तरह से कांग्रेस और अकाली दल जैसी पारंपरिक पार्टियों का सूपड़ा साफ हो गया, वह बताता है कि पंजाब के लोगों ने इस बार वोट देते हुए नई पार्टी से उम्मीदों के साथ ही पुरानी पार्टियों के प्रति अपनी निराशा भी जताई है। जाहिर है, यह स्थिति भगवंत मान की अगुआई में बनने वाली आम आदमी पार्टी की इस सरकार पर जिम्मेदारियों का अतिरिक्त बोझ डालती है। निश्चित रूप से पंजाब के लोगों में जगी इन उम्मीदों के पीछे पार्टी के बहुप्रचारित दिल्ली मॉडल की भी भूमिका है जिसे सस्ती बिजली और पानी के साथ ही अच्छी शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं की गारंटी के रूप में पेश किया जाता रहा है। पार्टी ने पंजाब में खास तौर पर 18 साल से ऊपर की उम्र की सभी महिलाओं को 1000 रुपये मासिक देने, हर घर को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने, हर गांव और कस्बे के वार्डों में मोहल्ला क्लिनिक बनाने जैसे वादे किए हैं। राज्य की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। यह कर्जे के बोझ से लदा है। इस पर 2 लाख 82 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।.
ऐसे में देखना होगा कि नई सरकार अपने वादे पूरे करने की कौन सी राह निकालती है। इसके साथ ही बॉर्डर स्टेट होने के नाते पंजाब काफी संवेदनशील माना जाता है। आतंक के दौर को यह राज्य पीछे जरूर छोड़ चुका है, लेकिन खालिस्तान समर्थक तत्वों की साजिशों की बातें जब-तब उठती रहती हैं। ड्रग्स यहां एक बड़े मुद्दे के रूप में रेखांकित होता रहा है। चूंकि दिल्ली में पुलिस व्यवस्था का जिम्मा राज्य सरकार के अंतर्गत नहीं आता और वहां आम आदमी पार्टी की सरकार इसे मुद्दा बनाती रही है, इसलिए इस पर पूरे देश की नजरें टिकी रहेंगी कि पंजाब में कानून व्यवस्था के मसले को नई सरकार कैसे संभालती है। यह भी ध्यान देने की बात है कि किसान आंदोलन में पंजाब ही सबसे आगे रहा। वहां किसानों की बदहाली बढ़ी है। उनकी स्थिति में सरकार कैसे बेहतरी लाती है, यह भी देखने की बात होगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो आम आदमी पार्टी की यह नई पारी पूरे देश की राजनीति में एक नए प्रयोग के रूप में देखी जा रही है। इसकी कामयाबी या नाकामी के गहरे निहितार्थ होंगे।