IPL का असली रोमांच दिखा रहा 2022; चैंपियन तरस रहे जीत को, युवा मचा रहे धमाल
क्रिकेट खासकर इसके सबसे छोटे फॉर्मेट की अनिश्चितता शायद इसी को कहते हैं
क्रिकेट खासकर इसके सबसे छोटे फॉर्मेट की अनिश्चितता शायद इसी को कहते हैं. कुल 14 मे से 9 खिताब जीत चुकी मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स को अब भी चार मैचों के बाद पहली जीत की तलाश है. पॉइंट्स टेबल मे दोनों टीमे सबसे निचली पायदान पर है. कल मुंबई को बेंगलूरू ने और चेन्नई को हैदराबाद ने आसान शिकस्त दी. आईपीएल के 15 वें संस्करण का सबसे बड़ा अपसेट तो यही है. सवाल यही है की इस तरह की शुरुआत के बाद क्या इन दोनों टीमों मे वापसी का माद्दा है?
आने वाला सप्ताह मुंबई इंडियंस की तकदीर तकरीबन तय कर देगा. इस दौरान उसे पंजाब किंग्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ दो मैच खेलने हैं, और इनमे से किसी मे भी हार उसकी मुश्किलों को सातवें आसमान पर पहुंचा देगी. उधर चेन्नई के लिए एक बेहतर बात यह हो सकती है कि इस पूरे सप्ताह उसे विश्राम मिला है और अगला मुकाबला गुजरात टाइटन्स के साथ अगले रविवार को ही होगा. यह समय उसे अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने का होगा. हालाकि यह भी ध्यान मे रखना होगा की अब तक इस लीग मे सिर्फ गुजरात के पास ही क्लीन स्लेट है, जिसने तीनों मैच जीते हैं. वैसे दोनों ही चॅम्पियन टीमे इस बार एक अलग ही दबाव मे नजर आ रही हैं और अब लगातार जीत के सफर मे लौटना इनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगा.
दबाव का आलम यह है कि ईशान किशन जैसा बल्लेबाज बेंगलूरू के खिलाफ टी-20 मे 90 के स्ट्राइक रेट के साथ खेलता है . जबकि सभी मैचों मे शिकस्त के बावजूद ईशान बल्लेबाजों की फेहरिस्त मे 175 के योग के साथ तीसरे स्थान पर हैं. रोहित शर्मा स्टार्ट तो लेते हैं, लेकिन उसे बड़ी पारी मे तब्दील नहीं कर पाते. रोहित और ईशान ने शुरुआत तो ठीक की, अर्धशतकीय साझेदारी की, लेकिन दोनों के आउट होने का दबाव देखिए, सिर्फ 23 गेंदों मे 12 रन जोड़कर टीम ने अपने पाँच विकेट गंवा दिए. तारीफ सूर्य कुमार यादव की जिन्होंने ताश के पत्तों की तरह ढहती हुई पारी को संभाला और सिर्फ 37 गेंदों मे 68 रन जोड़कर स्कोर डेढ़ सौ के पार पहुंचाया. लेकिन जब स्कोर डिफेन्ड करने की बारी आई तो फिर उसके गेंदबाजों ने भी साथ न दिया. अनुज रावत ने शानदार शुरुआत की और 47 गेंद पर 66 रन बनाए जबकि विराट कोहली ने भी 36 गेंद पर 48 रन की पारी खेली. इस जीत के साथ आरसीबी अब तीसरी पायदान पर हैं, एक ऐसी जगह जहां आम तौर पर उन्हे देखने की आदत नहीं है.
उधर रवींद्र जडेजा की अगुवाई वाली चेन्नई सुपर किंग्स को कल ही उस हैदराबाद की टीम ने हराया जिसके कप्तान केन विलियम्सन का शुमार पिछले कुछ वर्षों मे आईपीएल मे सबसे ज्यादा मैच हारने वाले कप्तान के रूप मे है. चेन्नई का कॉम्बीनेशन बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है. डिफ़ेंडिंग चैम्पीयन का कोई भी बल्लेबाज या गेंदबाज अब तक टॉप टेन मे भी मौजूद नहीं है. शिवम दुबे एक अर्ध शतक की बदौलत चार मैचों मे सिर्फ 112 रन बनाकर टॉप पर हैं जबकि उथप्पा एक अर्धशतक के साथ 106 के योग पर हैं. ब्रेवो ने टीम के लिए सबसे ज्यादा 6 विकेट लिए जरूर हैं, लेकिन उनकी इकॉनमी साढ़े आठ के पार है. यानी किसी भी फील्ड मे टीम की मजबूती झलक नहीं रही है, और हर फिसलते मुकाबले के साथ इस सीजन उसकी संभावनाओ पर तुषारापात हो रहा है.
टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट का सबसे बड़ा मास्टर माइंड माना जाता है. भारतीय टीम की कप्तानी छोड़ने के बाद भी मैदान के अंदर सलाह धोनी से ही ही ली जाती रही है. कोहली की रणनीति उनके बिना बनती नहीं थी. सवाल यही है कि क्या धोनी को ट्रैनिंग सेशन पूरा हो जाने के बाद टीम के कमजोर संतुलन का पूर्वानुमान हो चुका था? कोहली ने भी आरसीबी की कप्तानी छोड़ी है, लेकिन इसकी घोषणा उन्होंने पिछले सीजन ही कर दी थी, लेकिन धोनी ने यह काम लीग शुरू होने से सिर्फ दो दिन पहले किया. एक सीजन्ड कप्तान को अपनी कप्तानी मे डूबती हुई नैया पर सवार होना कतई अच्छा नहीं लग सकता, क्या कप्तानी छोड़ने का धोनी का यह फैसला इसी आँकलन पर आधारित था. क्या क्रिकेट के चाणक्य को टीम की कमज़ोरी का एहसास हो चुका था?
हैदराबाद के औसत गेंदबाजी आक्रमण के सामने पहले खेलते हुए चेन्नई सिर्फ 154 रन बना सके. मोईन अली ने जरूर 35 गेंद पर 48 रन बनाए, लेकिन रायडू, धोनी, ब्रेवो, और कप्तान जडेजा भी न तो बड़ी पारी खेल पाए और न ही रन गति बढ़ा पाए. जवाब मे चेन्नई की निस्तेज गेंदबाजी का आनंद लेते हुए अभिषेक शर्मा के 75, विलयम्सन के 32 और राहुल त्रिपाठी के 39 रन की बदौलत हैदराबाद ने 14 गेंद बाकी रहते 8 विकेट से मुकाबला जीत लिया.
अर्धशतक से शुरुआत करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने दूसरे मैच मे सिर्फ 6 गेंद पर 16 रन बनाए, लेकिन उसके बाद से उनकी बल्लेबाजी को ग्रहण सा लग गया है. पिछले कुछ सीजन की बल्लेबाजी की निराशा फिर भारी पड़ने लगी है.
कल भी डबल हेडर था और आज भी है. कल जो टीमे खेली थीं उनमे से चार मे से तीन चेन्नई, मुंबई और हैदराबाद पॉइंट्स टेबल मे सबसे निचले क्रम मे काबिज थीं. आज जो दो मैच खेले जाएंगे, उनमे खेलने वाली चार मे से तीन टीमे फिलहाल पॉइंट्स टेबल के टॉप 4 मे शामिल हैं.
केकेआर टॉप पर हैं, लेकिन ऐरोन फिंच आज भी उपलब्ध नहीं रहेंगे, उन्हे एलेक्स हेल्स की जगह टीम मे शामिल किया गया था. पिछले मैच मे कोलकाता ने मुम्बई को जिस अंदाज से हराया, वह खौफनाक था. पेट कमिन्स के तूफ़ानी अर्धशतक के चलते टीम ने 4 ओवर बाकी रहते 162 का टारगेट चेज़ कर लिया था. उमेश यादव अब तक 9 विकेट समेत कर सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की फेहरिस्त मे टॉप पर काबिज हैं. विपक्षी टीम दिल्ली ने भी मुंबई को शिकस्त दी थी, हालाकि दिल्ली की मजबूत बल्लेबाजी मैदान पर बहुत नहीं दिखी है. रनों की गति बढ़ाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है, और कप्तान ऋषभ पंत भी नहीं चल पा रहे हैं. पृथ्वी शॉ ने पिछली पारी मे अर्ध शतक लगाया, लेकिन जिस टीम मे शॉ और पंत हों, वह रन गति बढ़ाने के लिए संघर्ष करे, हैरान करता है. टीम के लिए मिचेल मार्श उपलब्ध नहीं होंगे, डेविड वार्नर और एनरीख नोखिया को बेहतर करना होगा.
उधर नई टीम लखनऊ सुपर जाएंट्स ने पिछले लगातार तीन मैच जीते हैं. दिल्ली को 6 विकेट से शिकस्त देने मे क्विंटन डिकॉक के 52 गेंदों पर 80 रन की पारी का अमूल्य योगदान रहा है. डिकॉक और लोकेश राहुल बहुत शानदार नही तो माध्यम दर्जे की बल्लेबाजी जरूर कर रहे हैं. डिकॉक 149 रन बनाकर बल्लेबाजों की फेहरिस्त मे पाँचवे नंबर पर है जबकि 132 रन के साथ के एल राहुल छटे स्थान पर हैं. आवेश खान और रवि बिश्नोई से टीम को काफी उम्मीदें है. रॉयल्स के लिए जोश बटलर ने धूम मचाई हुई है, पिछले 3 मैचों मे बटलर ने 205 रन बनाए हैं. बटलर का एक शतक भी लग चुका है. टीम के पास यूजवेन्द्र चहल और ट्रेंट बोल्ट जैसे दो उपयोगी गेंदबाज भी हैं.
कुल मिलाकर तीसरा सप्ताह मुंबई इंडियंस के लिए निर्णायक साबित होगा, तो उसका अगला सप्ताह चेन्नई के लिए. इन दोनों टीमों के पास अब गलती या कमजोर प्रदर्शन का कुशन समाप्त हो चुका है. दिलचस्प यह भी कि दो नई टीमे गुजरात और लखनऊ इतनी शानदार शुरुआत करेंगी, शायद इस बात का इल्म नही था. गुजरात नम्बर दो पर और लखनऊ इस समय नंबर चार पर हैं. आने वाले सप्ताह मे क्या इसकी शकल बदलेगी, या यह सीजन सूरमाओं के लिए भूलने वाला होगा.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
संजय बैनर्जी ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर
ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर. 40 साल से इंटरनेशनल मैचों की कॉमेंट्री कर रहे हैं.