निशाना तो वोट पर ही!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से शुरू हुई दो दिन के लिए बांग्लादेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश की आजादी के 50वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से शुरू हुई दो दिन के लिए बांग्लादेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश की आजादी के 50वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे। रिकॉर्ड समय तक विदेश ना जाने के बाद प्रधानमंत्री की इस पहली विदेश यात्रा का मुख्य उद्देश्य इसी समारोह में भागीदारी है। इसके लिए ही उन्हें बांग्लादेश सरकार ने आमंत्रित किया है। लेकिन ये वो समय है, जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की बिसातें भी बिछी हुई हैं। तो प्रधानमंत्री भले सरकारी विदेश यात्रा पर हों, लेकिन चुनाव की चिंता वे नहीं छोड़ सकते। स्थिति यह है कि पश्चिम बंगाल के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है क्या पश्चिम बंगाल के चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री के इस दौरे की योजना बनाई है?
गौरतलब बात ये है कि इस यात्रा दौरान प्रधानमंत्री ढाका से करीब 190 किमी दूर स्थित ओराकांडी में रुकेंगे, जहां वे 11 मार्च 1812 में जन्में हरिश्चंद ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। ठाकुर एक हिंदू संप्रदाय के संस्थापक हैं, जिन्हें मतुआ कहा जाता है। मतुआ नामशूद्र (अनुसूचित जाति) समुदाय से जुड़े हुए हैं, जो विभाजन के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश से पलायन कर भारत आ गए थे। इस समूह की पश्चिम बंगाल के चार संसदीय सीटों में काफी आबादी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में धर्म के आधार पर नागरिकता देने की योजना का भाजपा को काफी लाभ हुआ था। बोंगांव और राणाघाट की संसदीय सीटों में शायद इसी कारण भाजपा की जीत हुई थी। माना जाता है कि मातुआ समुदाय का थोक वोट भाजपा को मिला। मतुआ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) से खुश हैं। यह बात और है कि विवादित सीएए कानून पारित करने के 15 महीने बाद भी अभी तक केंद्र सरकार नियम नहीं बना पाई है। मगर पश्चिम बंगाल में पार्टी नेता इस कानून का खूब जिक्र कर रहे हैँ। इसीलिए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओराकांडी में मोदी का दौरा स्पष्ट रूप से मतुआ वोटरों को लुभाने की कोशिश है। ढाका स्थित एक पत्रकार की ये टिप्पणी इस संबंध में अहम है कि बांग्लादेश में बहुत कम लोगों को अभी तक ओराकांडी या इसके महत्व के बारे में पता था। लेकिन मोदी को उसका महत्त्व मालूम है। उसका क्या सियासी उपयोग है, यह भी वे जानते हैं!