शख्स ने बच्चों के लिए बनाया ऐसा बैग जो बन जाता है डेस्क, जानें कैसे

दुनियाभर में कई लोग हैं जो अनोखे अनोखे खोजों में यकीन रखते हैं।

Update: 2020-11-06 14:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में कई लोग हैं जो अनोखे अनोखे खोजों में यकीन रखते हैं। वह हर दिन कुछ ना कुछ नया बनाते रहते हैं। अब आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कुछ ऐसा बनाया है जिसके बारे में जानने के बाद आपको हैरानी होगी। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं हिमांशु मुनेश्वर देवर की। उन्होंने एक ऐसा स्कूल बैग डिजाइन किया, जो डेस्क में बदल जाता है। जी हाँ, सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है।

जी दरअसल हिमांशु मुनेश्वर देवर 24 साल के हैं और बेंगलुरु में रहते हैं। उन्होंने स्थानीय कारीगरों के साथ मिलकर एक ऐसा स्कूल बैग डिजाइन किया, जो डेस्क में बदल जाता है। एक वेबसाइट के मुताबिक हिमांशु एक प्रोडेक्ट डिज़ाइन स्टूडेंट हैं, और उन्होंने NICC इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ़ डिज़ाइन से ग्रेजुएशन किया है। अपने प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए हिमांशु ने कई कॉर्पोकेट फ़र्मों में नौकरी के ऑफ़रों को साफ़ मना कर दिया। उसके बाद वह उत्तर प्रदेश गए और फिर वहां कारीगरों के साथ मिलकर स्थानीय रूप से उगाई गई चंद्रा घास से बैग डिज़ाइन किया।




 

इस बारे में बात करते हुए हिमांशु ने बताया, 'मैं हमेशा से उन बच्चों के लिए काम करना चाहता था जो स्कूलों में डेस्क की कमी के कारण पोस्चर की समस्या से जूझते हैं। मैंने देखा है कि बच्चे क़िताबों के सामने कैसे घंटो गर्दन और पीठ मोड़कर बैठते हैं। ये दर्दनाक लगता है।' वैसे हम आपको यह भी बता दें कि, ये स्कूल बैग कुल तीन किलो का भार ले जा सकता है और ये बच्चों के कंधों और पीठ के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। बच्चे इस बैग को कहीं भी ले जा सके इस वजह से इसमें दो पट्टियां लगाई गई हैं। इसके अलावा इस बैग से दो मैटल के स्टेंड जोड़े गए हैं, जो डेस्क बनने पर बैग के पैर बन जाते हैं।

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