निर्धारित एजेंसी से ऑडिट के बाद नोएडा प्राधिकरण अधिभोग प्रमाणपत्र जारी करेगा
नोएडा न्यूज़: नोएडा प्राधिकरण स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट मिलने के बाद ही किसी परियोजना के लिए अधिभोग प्रमाणपत्र जारी करेगा. अगर रिपोर्ट में कमी मिलती है तो पहले बिल्डर को वह ठीक करानी होगी. इसके बाद ही बिल्डर फ्लैट खरीदारों को कब्जा दे सकेगा. यह व्यवस्था से लागू हो गई है.
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि बिल्डर अपनी परियोजनाओं के लिए आंशिक या पूर्ण अधिभोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने को ऑनलाइन आवेदन करता है. प्राधिकरण आवेदन की जांच कर यह प्रमाण पत्र जारी करता है. अभी तक बिल्डर किसी भी एजेंसी के जरिए स्ट्रक्चरल वैटिंग का प्रमाण पत्र लेकर प्राधिकरण में जमा कराता था जिसके आधार पर प्राधिकरण अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर देता था, लेकिन से व्यवस्था में बदलाव हो गया है.
स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी लागू होने के बाद अब बिल्डर को प्राधिकण की ओर से चयनित एजेंसी के जरिए परियोजना का ऑडिट कराना होगा. इसकी रिपोर्ट प्राधिकरण में जमा करानी होगी, जिसके बाद प्राधिकरण आगे की कार्रवाई करेगा. अधिकारियों ने बताया कि आवासीय के अलावा 15 मीटर से अधिक ऊंची व्यावसायिक टावरों का ऑडिट हो सकेगा.
तीन सोसाइटी की मांग कमेटी को भेजी अधिकारियों ने बताया कि शहर से पांच सोसाइटी से स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग आई है. इनमें से तीन सोसाइटी में ऑडिट कराने के लिए मामला प्राधिकरण स्तर पर गठित कमेटी को भेजा गया है. कमेटी अगर मंजूरी देती है तो ऑडिट की प्रक्रिया शुरू होगी.
आपसी सहमति से तय होगा शुल्क अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रक्चरल ऑडिट के बिल्डर या एओए को चयनित एजेंसी को भुगतान करना होगा. ऑडिट के लिए भुगतान की जाने वाली धनराशि की दर का निर्धारण बिल्डर/एओए तथा चयनित एजेंसी द्वारा आपसी सहमति से किया जाएगा. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि तीन से पांच रुपये प्रति स्कवायर फिट के हिसाब से एजेंसी यह शुल्क लेंगी.
ऑडिट का भार पड़ेगा एओए पर शहर में अधिकांश परियोजनाओं को आंशिक या पूर्ण अधिभोग प्रमाण पत्र जारी होने को पांच साल हो चुके हैं या होने वाले हैं, ऐसे में अब ऑडिट का भार एओए पर पड़ेगा. खास बात यह है कि सोसाइटी हैंड ओवर किए जाने के बावजूद बिल्डर ने आईएफएमएस का पैसा सहित अन्य फंड एओए को नहीं दिए हैं.
इनसे करा सकेंगे ऑडिट
दिल्ली टैक्नीकल विश्वविद्यालय दिल्ली, आईआईटी कानपुर, एमएनआईटी इलाहाबाद, बीआईटीएस पिलानी, एएमयू अलीगढ़, एमएनआईटी जयपुर,
और सीबीआरआई रूड़की
अब इमारतों की ऑडिट रिपोर्ट मिलने के बाद ही प्राधिकरण अधिभोग प्रमाणपत्र जारी करेगा. यह व्यवस्था से लागू कर दी गई है.
-इश्तियाक अहमद, सीएपी, नोएडा प्राधिकरण
बिल्डर नहीं कराता है तो प्राधिकरण करवाएगा ऑडिट, कार्रवाई भी
यदि बिल्डर या एओए निर्धारित अवधि में स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराता है तो प्राधिकरण नोटिस जारी कर एक महीने में ऑडिट कराकर रिपोर्ट जमा करने के निर्देश देगा. इसके बाद भी ये दोनों पक्ष आगे नहीं आता है तो प्राधिकरण अपने स्तर से ऑडिट कराएगा. ऑडिट कराकर उस पर व्यय हुई धनराशि बिल्डर या एओए से वसूलेंगे. वहीं एओए के मैनेजमेंट से पैसा मांगा जाएगा. नहीं देने पर आरसी जारी होगी. ऑडिट नहीं कराने पर प्राधिकरण दोनों पक्षों पर नियमों के तहत कार्रवाई करेगा.
एओए की मांग या 25 खरीदारों की सहमति जरूरी
संबंधित सोसाइटी की एओए या 25 प्रतिशत खरीदारों की तरफ से ऑडिट की मांग आने पर प्राधिकरण जांच करवाएगा. अगर किसी परियोजना को अधिभोग प्रमाण पत्र जारी हो गया तो शुरुआत के पांच साल तक स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का जिम्मा बिल्डर के पास होगा. इसके बाद एओए की जिम्मेदारी होगी. खरीदारों द्वारा स्ट्रक्चरल डिफेक्ट की शिकायत की जाती है तो प्राधिकरण स्तर पर गठित समिति द्वारा शिकायत का परीक्षण किया जाएगा. मेजर श्रेणी का स्ट्रक्चरल डिफेक्ट मिलने पर बिल्डर विशेषज्ञ संस्थाओं से इसका ऑडिट कराएगा. सीईओ के आदेश के एक महीने के अंदर बिल्डर को ऑडिट कराना होगा.