नॉएडा वाले कुत्तों से हुए बेहद परेशान, जर्मन शेफर्ड और पिटबुल नस्ल के कुत्तों की संख्या सबसे ज्यादा
एनसीआर दिल्ली: खतरनाक नस्ल के कुत्तों का लोगों पर हमला करने का वीडियो जैसे-जैसे वायरल होता जा रहा है, वैसे वैसे लोग घर में पाले हुए अलग-अलग नस्ल के इन कुत्तों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बड़े-बड़े रईस लोग भी अपने घर में पाले हुए इन कुत्तों से रात के अंधेरे में पीछा छुड़ा रहे हैं। इनमें जर्मन शेफर्ड और पिटबुल नस्ल के कुत्तों की संख्या सबसे ज्यादा है। जबकि वह लोग नहीं जानते कि उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कारवाई हो सकती है। दरअसल बीते दिनों नोएडा - ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत अन्य इलाकों में काफी ऐसे वीडियो वायरल हुए जिनमें दिखाई दिया कि लिफ्ट हो, पार्क हो या फिर सड़क -- खतरनाक नस्ल के कुत्तों ने बच्चों, बुजुर्गों, डिलीवरी ब्वॉय समेत अन्य लोगों को अपना शिकार बनाया है। इन वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों में इन खतरनाक नस्ल के कुत्तों के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है साथ ही साथ ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार, प्रशासन भी यह कोशिश कर रहा है कि जिन घरों में यह खतरनाक नस्ल के कुत्ते पाले जा रहे हैं उनके बारे में संबंधित विभाग को पूरी जानकारी हो। कुत्तों के वैक्सीनेशन उनके रजिस्ट्रेशन की भी पूरी जानकारी हो। इसके लिए नियम कानून जो पहले से बनाए गए थे उन्हें अब सख्ती से पालन कराया जा रहा है। वायरल हुए कई वीडियो के बाद नोएडा और दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में रहने वाले लोगों में कुत्तों को लेकर दहशत हो गई है जहां एक तरफ ऐसी खतरनाक नस्ल के डॉग को लेकर खतरा बना हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ लोग अब जर्मन शेफर्ड और पिटबुल जैसे कुत्ते के मालिकों को अलग नजर से देख रहे हैं।
नोएडा में खतरनाक नस्ल के माने जाने वाले 9 कुत्तों को पिछले 15 दिनों में चुपचाप उनके मालिक एक एनजीओ के बाहर छोड़ कर चले गए। नोएडा की हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स एनजीओ के पास पिछले 1 महीने में 200 से ज्यादा कॉल देशभर के अलग-अलग कोनों से आ चुके हैं। जो इन्हें अपने यहां पाले गए खतरनाक नस्ल के कुत्तों की देखभाल करने के लिए देना चाहते हैं। एनजीओ का कहना है कि वह इतने कुत्तों को एक साथ नहीं रख सकता क्योंकि उनके पास जगह नहीं है इसीलिए एनजीओ अपनी काउंसलिंग टीमें बनाकर लोगों को समझा रहा है और यह भी कह रहा है कि कुत्तों को अगर ठीक से देखभाल कर पाला जाए तो इस तरीके की घटनाएं नहीं होंगी। वहीं एनजीओ को शुरू करने वाले संजय मोहपात्रा का कहना है कि पिछले 15 दिनों में 9 कुत्तों को लोग रात के वक्त चुपचाप एनजीओ में बांधकर चले गए। संजय के मुताबिक अगर ऐसे लोग पकड़े गए तो उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है और एनिमल लॉ के मुताबिक सेक्शन 428 के अंदर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि कोई भी आरडब्ल्यू है या सोसाइटी अपने रूल्स नहीं बना सकती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है, इंसान के सबसे वफादार साथी कुत्ते को आप अपने साथ रख सकते हैं।
गाजियाबाद नगर निगम में कुत्तों के रजिस्ट्रेशन का काम है इस वक्त तेजी से चल रहा है। लोग ऑनलाइन बैठकर अपने कुत्तों के रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कुत्तों का वैक्सीनेशन कार्ड अपलोड करना बहुत जरूरी है। अभी तक करीब 3000 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं जिनमें 50 परसेंट से ज्यादा वह कुत्ते हैं जिनको खतरनाक नस्ल का माना जाता है। इनमें रॉटविलर, साइबेरियन हस्की, जर्मन शेफर्ड जैसी नस्लों के कुत्तों को पालना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। शहर में कुल 20 हजार से ज्यादा कुत्ते हैं। शहर में कुल 70 नस्लों के कुत्ते पाले जा रहे हैं। पंजीकृत कुत्तों में पिटबुल, रॉट विलर, बॉक्सर, जर्मन शेफर्ड, ग्रेटडेन, बुल मेस्टिफ जैसी विदेशी और गुस्सैल नस्ल शामिल हैं। गौतमबुद्ध नगर में बनी सभी आरडब्ल्यूए की गवनिर्ंग बॉडी फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ए. योगेंद्र शर्मा ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए बताया की सरकार से और जिला प्रशासन से यह मांग की जाती है कि कुत्तों को पालने को लेकर जो कानून बने हुए हैं उन्हें और सख्त किया जाए ताकि लोग उन कानून का पालन ठीक से करें और साथ ही सड़कों और सोसाइटी में घूम रहे आवारा कुत्तों की नसबंदी करने वाली और यूनिट्स को बढ़ाया जाए।
उनके मुताबिक अभी नोएडा में सिर्फ दो यूनिट यह काम कर रही है। जिनकी संख्या कम होने की वजह से कुत्तों की नसबंदी का काम बखूबी नहीं हो पा रहा है इसीलिए घरेलू पालतू कुत्तों के अलावा सबसे ज्यादा मामले सड़क पर आवारा कुत्तों के काटने के दिखाई देते हैं। अगर सिर्फ नोएडा जिले की बात की जाए तो रोजाना जिला अस्पताल में करीब 100 केस और पूरे जिले में करीब 500 कुत्ता काटने के आते हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टर बी.के. ओझा के मुताबिक रोजाना जिला अस्पताल में कुत्ता काटने को लेकर इंजेक्शन लगवाने आने वाले लोगों की संख्या 170 से 200 के आसपास होती है जिसमें आधी संख्या वह होती है जो नए केस होते हैं। दिन ब दिन यह समस्या बढ़ती जा रही है और अब धीरे-धीरे जो इंसान का सबसे वफादार साथी था उसके खिलाफ इंसान के मन में एक अलग तरीके का रोष पैदा हो चुका है। यह आने वाले समाज के लिए कहीं ना कहीं एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। एक तरफ जहां लोगों की प्रवृत्ति खतरनाक नस्ल के कुत्ता पालने को लेकर बढ़ी है, वहीं वायरल वीडियो आने के बाद इन कुत्तों के प्रति रोष भी लोगों में उतना ही बढ़ा है।