विशेषज्ञ समूह ने नॉएडा के गांवों का दोबारा सर्वे कराने को कहा
थोरा और नीमका गांवों को विस्थापन से बचाने की सिफारिश
नोएडा: नोएडा एयरपोर्ट के विस्तार से प्रभावित छह में से थोरा और नीमका गांवों को विस्थापन से बचाने की सिफारिश की गई है. सामाजिक समाघात निर्धारण अध्ययन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के साथ विशेषज्ञ समूह ने गांवों का दोबारा सर्वे कराने को कहा है.
नोएडा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के तहत थोरा, नीमका, शाहजहांपुर, ख्वाजपुर, रामनेर, किशोरपुर, बनवारीबांस, पारोही, मुकीमपुर, शिवारा, जेवर बांगर, साबौता मुस्तफाबाद, अहमदपुर, रोही, चौरौली, दयानतपुर बंकापुर समेत 14 गांवों की 1888 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है. इसका सामाजिक समाघात निर्धारण अध्ययन (एसआईए) जीबीयू की टीम ने किया गया था. विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञ समूह का गठन गया. तीन सिफारिशों के साथ एसआईए की रिपोर्ट को विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी संस्तुति प्रदान कर दी थी.
विशेषज्ञ कमेटी ने सिफारिश की है कि भूमि के मुआवजे को भूमि अधिग्रहण अधिनियम-13 के अनुसार उच्चस्तर पर नियमानुसार तय किया जाए. परियोजना से प्रभावित लोगों एवं परिवारों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुआवजे की दर मौजूदा बाजार मूल्य या सर्किल दरों के अनुसार जो भी अधिक हो नियमानुसार दी जाए. 14 गांवों में से 6 गांव, जिनमें थोरा, नीमका, खाजपुर, रामनेर, किशोरपुर व बनवारीवास का पूर्णरूप से विस्थापन प्रस्तावित है, जिनमें मकान एवं अन्य निर्माण हुए हैं. पुनर्व्यवस्थापन के नियमानुसार प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाए.
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि यदि संभव हो तो थोरा एवं नीमका गांव का पीडब्ल्यूसी एजेंसी से पुन सर्वे कराकर विस्थापन होने से बचाने का प्रयास किया जाए. साथ ही नीमका, थोरा एवं अन्य गांवों के प्रभावित परिवारों के लिए घरौनी या कोई अन्य उपयुक्त दस्तावेज जारी करने पर विचार किया जाए.