नोएडा न्यूज़: दादरी तहसील के गांव तुस्याना में हुए 150 करोड़ रुपये से अधिक के जमीन घोटाले के मामले में 11 माह बाद एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली. यह रिपोर्ट शासन को भेज दी गई. एसआईटी की रिपोर्ट के बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले में कुछ और अधिकारियों और रसूखदारों पर कार्रवाई हो सकती है.
तुस्याना में सरकारी जमीन के पट्टे गलत तरीके से कर 150 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा उठाया गया था. शासन ने इस घोटाले की जांच के लिए राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक हाईपावर कमेटी का गठन किया था, जिसमें एडीजी मेरठ जोन और मेरठ मंडल कमिश्नर को भी रखा गया था. मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि एसआईटी ने तुस्याना घोटाले में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है और अब इस मामले में आगे की कार्रवाई शासन स्तर से ही होगी. रिपोर्ट के गोपनीय होने के कारण उन्होंने इसके संबंध में जानकारी देने से इनकार कर दिया. एसआईटी के अधिकारियों की बैठक हापुड़ में हुई थी, जिसमें गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी भी शामिल रहे. बैठक में ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया.
तुस्याना में हुए इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी ने वर्ष 1952 से लेकर अभी तक का रिकॉर्ड देखा था. इस रिकॉर्ड की तलाश निकटवर्ती जिले में हुई थी. एसआईटी की जिले में हुई जांच में 1359 फसली की रिपोर्ट से यह पुष्टि हो गई थी कि यह जमीन सरकारी रिकॉर्ड में बंजर थी और इसके गलत तरीके से पट्टे किए गए. फिर पट्टों की बिक्री करने के साथ प्राधिकरण से इस जमीन का मुआवजा भी उठा लिया गया. प्राधिकरण से अन्य सुविधाएं भी ली गईं.
इस मामले में एमएलसी के भाई की गिरफ्तारी हुई थी तुस्याना घोटाले में 16 नवंबर 2022 को एक बड़ी कार्रवाई हो चुकी है. इस प्रकरण में भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के छोटे भाई ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन प्रबंधक कैलाश भाटी, अथॉरिटी के क्लर्क कमल सिंह और दीपक भाटी निवासी मकोड़ा को गिरफ्तार किया था. अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय भारती सिंह ने बताया कि कोतवाली ईकोटेक-3 में फरवरी 2021 में तुस्याना गांव में भूमि घोटाले को लेकर एक अभियोग पंजीकृत हुआ था, जो सच सेवा ट्रस्ट की ओर से पंजीकृत कराया गया था.
वर्ष 1996 में फर्जीवाड़े की शुरुआत हुई: तुस्याना गांव में फर्जीवाड़े की शुरुआत 1996 से हुई थी. अधिकारियों की मानें तो इस जमीन का खाता संख्या 1104, 487, 1106 व 1105 था. ग्राम समाज की इस जमीन पर फर्जी पट्टे हुए थे. तहसील के तत्कालीन अधिकारियों से मिलकर नियमों को दरकिनार कर यह पट्टे आवंटित किए गए. जिन लोगों को पट्टे हुए, उनसे एक कंपनी ने जमीन खरीद ली और कुछ अन्य लोगों के नाम पर भी रजिस्ट्री कराई. इस जमीन का 159 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा उठा लिया गया.
अधिकारियों और भूमाफिया की मिलीभगत: तीन वर्ष पहले इस मामले की जांच करने वाले पूर्व तत्कालीन एडीएम एमएन उपाध्याय ने बताया था कि अधिकारियों और भूमाफिया की मिलीभगत के बाद ग्राम समाज की जमीन का फर्जीवाड़ा हुआ था. प्राथमिक जांच में टीपीएल कंपनी के साथ ही कई नाम सामने आए थे. बड़े फर्जीवाड़े को देखते हुए शासन से उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग की गई थी. इसके बाद पूर्व जिलाधिकारी सुहास.एल.वाई ने इस संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजकर उच्च स्तरीय कमेटी के गठन की मांग की थी. इस रिपोर्ट पर ही शासन ने एसआईटी का गठन किया था.