दिल्ली: बीते एक दशक से कर्ज के बोझ से दबी रही देश की सबसे बड़ी पवन ऊर्जा कंपनी सुजलॉन एनर्जी हाल ही में अपने संस्थापक तुलसी तांती के निधन के बावजूद नए सिरे से अपनी खोई हुई स्थिति वापस पाने की जद्दोजहद में जुटी हुई है। अपने संस्थापक के खोने के बाद भी कंपनी को अपना राइट्स इश्यू पूरा करने का भरोसा है। यह इश्यू 11 अक्टूबर को खुलेगा और 20 अक्टूबर इसकी अंतिम तारीख है।
कंपनी के लिए पिछले कुछ साल अच्छे नहीं रहे: तुलसी तांती ने वर्ष 1995 में सुजलॉन एनर्जी की स्थापना की थी और कुछ साल में ही यह देश की अग्रणी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बन गई, लेकिन कंपनी के लिए पिछले कुछ साल अच्छे नहीं रहे और गत एक अक्टूबर को संस्थापक का असमय निधन हो जाने से इसकी मुश्किलें और बढ़ने की स्थिति बनने लगी। लेकिन , कंपनी ने तुलसी तांती के भाई विनोद आर तांती को नया चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त करने के साथ ही अपने राइट्स इश्यू निर्गम को भी पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक जारी रखने की घोषणा की है। इस राइट्स इश्यू के जरिये कंपनी करीब 1,200 करोड़ रुपये का वित्त जुटाने की कोशिश में है। इसके अलावा आरईसी एवं इरेडा से उसे हाल ही में 2,800 करोड़ रुपये का पुनर्वित्त मिला है। सुजलॉन एनर्जी के मुख्य कार्यकारी (सेवा प्रकोष्ठ) ईश्वर चंद मंगल ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि कंपनी की मुख्य समस्या वित्त का इंतजाम करना है। उन्होंने कहा, "हमारी समस्या उत्पाद, प्रौद्योगिकी या ऑर्डर का अभाव नहीं है। सबसे बुरे दौर में भी हम अपने लगाए हुए टर्बाइन की देखभाल कर रहे थे और अभी की हमारी 2,000 करोड़ रुपये की कुल आय में से करीब 1,800 करोड़ रुपये सेवाओं से ही आते हैं।"
बैंक कार्यशील पूंजी मुहैया कराने को भी तैयार नहीं: मंगल ने कहा, "हमें अनुबंध पाने के लिए अग्रिम बुकिंग राशि का 50 प्रतिशत बैंक गारंटी के तौर पर देना होता है , लेकिन हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। बैंक हमें कार्यशील पूंजी मुहैया कराने को भी तैयार नहीं हैं। लेकिन हाल ही में आरईसी से 2,800 करोड़ रुपये का पुनर्वित्त मिलने से हम संकट से बाहर आ गए हैं
जल्द ही हम 2007 से पहले की सुखद स्थिति में पहुंच जाएंगे।" आरईसी और इरेडा से मिले कर्ज ने सुजलॉन एनर्जी पर 16 बैकों के कंसोर्टियम के बकाया 3,000 करोड़ रुपये के कर्जों को पुनर्वित्तपोषण कर दिया है।