तेज गति से होता है भेड़ का विकास, कम लागत में बेहतर कमाई का मौका, पढ़ें पूरी जानकारी

भारत के किसान खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं

Update: 2021-10-11 17:05 GMT

भारत के किसान खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं, पशुपालन उनके लिए अतिरिक्त आय का स्त्रोत बनता है. देश के किसान कृषि कार्य में इस्तेमाल के लिए गाय भैंस और बकरी का अधिकांश तौर पर इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कई ऐसे भी राज्य जहां पर भेड़ पालन का कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है. भेड़पालन छोटे और सीमांत किसानों के लिए कमाई का एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें लागत बहुत ही कम आती है. क्योंकि भेड़ जंगली घांस या खरपतवार खाकर अपना पेट भरते हैं इसलिए किसानों को भेड़पालन में खिलाने का खर्च बच जाता है. पिछले कुछ वर्षों से इस व्यवसाय में काफी तेजी देखी गयी है.


तेज गति से होता है भेड़ का विकास
मुख्य तौर पर भेड़ पालन ऊन मांस और दूध के लिए किया जाता है. भेड़ का मांस काफी पौष्टिक माना जाता है. पर सबसे अधिक ऊन की मांग रहती है इसके लिए भेड़पालन किया जाता है. भेड़ का शारीरिक विकास काफी तेजी से होता है. इसके अलावा इसके रखरखाव पर बेहद कम खर्च आता है. देश में 20वीं पशु गणना के अनुसार देश में 10 मिलियन से अधिक भेड़ हैं. दरअसल कई मायनों में भेड़ पालन अन्य पशुओं की अपेक्षा काफी सरल है, क्योंकि भेड़ें आकार में छोटी होती हैं . जिसके कारण इनका पालन कम स्थान में आसानी से किया जा सकता है. इसके अलावा किसी भी जलवायु में इसे पाला जा सकता है.

कैसे करें भेड़पालन
दुनिया के लगभग सभी देशों में भेड़पालन किया जाता है. भारत में सदियों से भेड़पालन होता आ रहा है. इस मामले में भारत तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा भेड़ों का पालन करने वाला देश हैं .देश में भेड़ पालन का व्यवसाय निरंतर बढ़ता जा रहा है. इसलिए आप भी अगर भेड़पालन करना चाहते हैं तो इससे संबंधित पूरी जानकारी हासिल कर लें.

कर्मिशयल तौर पर भेड़पालन करने के लिए कम से कम 20 मादा केऔर एक नर भेड़ के साथ शुरूआत करें.
भेड़ की कीमत उसकी नस्ल पर निर्भर करती है और उसकी उम्र पर निर्भर करती है.
एक भेड़ की कीमत तीन से लेकर आठ हजार रुपए तक होती है, इस तरह से एक लाख रुपए में इस व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है.
20 भेड़ो के लिए 500 स्क्वैयर फीट का शेड पर्याप्त माना जाता है परन्तु यह खुला और हवादार होना चाहिए. यह तीस से 40 हजार रुपए में तैयार हो जाता है.
नर भेड़ को मादा भेड़ों से अलग रखा जाता है ताकि इनके खान पान पर विशेष ध्यान दिया जा सके. इसके अलावा यह हिंसक भी होते हैं.
गर्भधारण किये गये भेड़ों को भी बाकी भेड़ों से अलग रखना चाहिए, हालांकि एक साथ तीन से चार गर्भधारण किये गये भेड़ों को रखा जा सकता है.
भेड़ को खुले में चराया जाता है, ये मुख्य रूप से जंगली घांस और पेड़ों की पत्तियां खाते हैं. पर इन्हें सुबह और शाम के वक्त ही चराना चाहिए.
भेड़पालन के लिए मिलने वाली सरकारी सहायता
भेड़पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक बेहतर ऋण व्यवस्था लागू की है.
भेड़ पालन हेतु सरकार द्वारा वित्तीय सहायता
भेड़ पालन के लिए सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता अधिकतम 1 लाख रुपये प्रदान की जाती है, जिसमें से 90% राशि किसान को ऋण के रूप में दी जाती है और शेष 10% राशि भेड़ पलक को स्वयं वाहन करनी होती है. सरकार द्वारा लोन के रूप में दी जानें वाली 90% धनराशि में 50 प्रतिशत राशि पर पशुपालक को ब्याज नही देना होता है . जबकि शेष बची 40% धनराशि पर आपको ब्याज देना होता है . सरकार द्वारा इस ऋण को चुकानें की अवधि 9 वर्ष निर्धारित की गयी है .
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