स्टारलिंक एलन मस्क की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी, ग्रामीण भारत से करेंगे इसकी शुरुआत
एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी Starlink भारत में अपने सर्विस की शुरुआत 10 ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से शुरू करने की तैयारी कर रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत की इंटरनेट दुनिया में खलबली मचाने के लिए दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने पूरी तैयारी कर ली है. उनकी सैटेलाइट कंपनी Starlink भारत में बहुत जल्द अपने सर्विस की शुरुआत कर रही है. कंपनी के टॉप मैनेजमेंट से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, स्टारलिंक भारत में अपने सर्विस की शुरुआत 10 ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से करेगी.
माना जा रहा है कि कंपनी के अधिकारी बहुत जल्द लोकसभा सदस्यों, मंत्रियों और महत्वपूर्ण अधिकारियों संग इस संबंध में वर्चुअल बैठक करेंगे. स्टारलिंक एलन मस्क की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी है. अभी तक की योजना के मुताबिक दिसंबर 2022 से भारत में यह कंपनी ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू कर देगी. शुरुआत में यह 2 लाख टर्मिनल के लिए सरकार से मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया में है.
पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड की होगी पहुंच
स्टारलिंक सैटेलाइट बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विस देती है. इसकी मदद से पहाड़ी, ग्रामीण और सुदूर एरिया में कहीं भी इंटरनेट की पहुंच हो सकती है. स्टारलिंक के इंडिया प्रमुख संजय भार्गव ने कहा कि इस महीने वह सांसदों, अधिकारियों और मंत्रियों से अहम मुलाकात कर सकते हैं. एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने यह भी कहा कि स्टारलिंक के ब्रॉडबैंड कनेक्शन के लिए 5000 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं.
7400 रुपए का होगा चार्ज
स्टारलिंक ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए प्रत्येक कस्टमर से 99 अमेरिकी डॉलर या करीब 7350 रुपए चार्ज कर रही है. इसके बदले वह 50-150 मेगाबिट प्रति सेकेंड की स्पीड उपलब्ध कराएगी. भार्गव ने कहा कि ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में जहां से ज्यादा मांग आएगी, वहां इस सर्विस की शुरुआत की जाएगी.
जियो, एयरटेल, वोडा जैसी कंपनियों से होगा मुकाबला
स्टारलिंक का सीधा मुकाबला, एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और एयरटल समर्थित OneWeb से होगा. बता दें कि भारती एयरटेल बैकिंग वाली कंपनी OneWeb मई 2022 से भारत में अपने सर्विस की शुरुआत करने की योजना में है. यह एक सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी है.
5जी नीलामी की प्रक्रिया में सरकार
इधर सरकार अगले साल के शुरुआत में 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के बारे में विचार कर रही है. इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने TRAI से सुझाव भी मांगे हैं. सैटेलाइट आधारित कंपनियां जो ब्रॉडबैंड की सेवाएं दे रही हैं, वो नहीं चाहती हं कि टेलीकॉम कंपनियों को नया स्पेक्ट्रम जारी किया जाए.