एअर इंडिया के कर्मचारियों को झटका, सरकार ने लगयी सुविधाओं पर लगाम
एअर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया अभी जारी है. ऐसे में सरकार ने कंपनी के कर्मचारियों को मिलने वाली चुनिंदा सुविधाओं पर एक तय समय तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिवालिया कंपनी एअर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन से कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी जहां पहले से ही अपने हक को लेकर चिंता में हैं. वहीं अब उन्हें एक और झटका लगने वाला है. दरअसल सरकार कर्मचारियों को मिलने वाली कुछ सुविधाओं पर लगाम लगा सकती है. चूंकि एअर इंडिया के नए मालिक जो इस साल विनिवेश के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाली कंपनी है, वे कर्मचारियों के लिए नई शर्तें और मुआवजे का प्रावधान रख सकते हैं. एयरलाइन कंपनी की निजीकरण की प्रक्रिया अभी जारी है ऐसे में कर्मचारियों को मिलने वाले अधिकार में बदलाव हो सकता है.
लिहाजा सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों को उस समय तक सीमित कर दिया है, जब तक वह अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण के लिए खाका तैयार न कर लें. हालांकि इस बारे में एअर इंडिया कर्मचारी संघ ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय में याचिका दायर की थी कि निजीकरण के बाद भी सेवा और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए चिकित्सा योजना, भविष्य निधि और छुट्टी नकदीकरण अपने वर्तमान स्वरूप में जारी रखा जाना चाहिए. उनकी ओर से तर्क दिया गया था कि ये कर्मचारियों की भलाई के लिए है.
बता दें कि एअर इंडिया के कर्मचारियों को अभी तक कई सुविधाएं मिल रही थीं, जिनमें स्वास्थ्य और भविष्य निधि योजना समेत मुफ्त टिकट आदि शामिल हैं. हालांकि एक वर्ष में जारी किए जा सकने वाले मुफ्त टिकटों की संख्या निश्चित है, यह तत्काल परिवार से परे दिया गया था जिसमें आमतौर पर कर्मचारी, पति या पत्नी और आश्रित बच्चे शामिल होते हैं.
श्रमिकों और कर्मचारियों का मानना है कि वे इन सुविधाओं के आधार पर ही कंपनी में शामिल हुए थे और इस धारणा पर काम किया कि अनुबंध की शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी. मगर निजीकरण के लिए लक्ष्य तिथि से आगे पूरी प्रक्रिया में देरी की है और कुछ अन्य पहलुओं पर अभी भी निर्णय लिया जा रहा है इससे कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने टीओआई को बताया कि कंपनी का चालू वित्त वर्ष के दौरान निजीकरण किया जाना है. ऐसे में अनुदान की मांग को मंजूरी मिलने के बाद नए सिरे से ये 1,900 करोड़ रुपये प्राप्त करेगी. केंद्र का लक्ष्य सितंबर में वित्तीय बोलियां मंगाना है. सरकार चाहती है कि सभी प्रक्रियााएं चालू वित्त वर्ष में पूरी हो जाए. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इसमें थोड़ा अधिक समय लग सकता है, लेकिन यहां तय किए गए कुछ मुद्दों का उपयोग अन्य कंपनियों के मामले में भी किया जाएगा, जिनका आने वाले महीनों में निजीकरण किया जाएगा."