किसानों के लिए सरसों की खेती से तेजी से बढ़ेगा उत्पादन, होगी ज्यादा कमाई, जाने इससे जुड़ी 5 बेस्ट टिप्स
Sarso ki Kheti- भारत में सरसों की खेती सर्दियों में की जाती है. इस फसल को 18 से 25 सेल्सियस तापमान की जरुरत होती है. आइए जानें खेती से जुड़ी जरूरी बातें...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाराष्ट्र में इस बार बेमौसम बारिश के कारण रबी की बुवाई में देरी हुई है. इसलिए ज्वार की बुवाई कम होने की उम्मीद हैं जबकि गेहूं की बुवाई बढ़ने की उम्मीद थी. लेकिन एक नवंबर तक राज्य में गेहूं की बुआई नहीं हुई हैं . नवंबर महीने में भी बेमौसम बारिश के कारण बुवाई में तेजी नहीं आई है.इसके अलावा किसानों ने ज्वार और गेहूं के विकल्प के रूप में अब सरसों की खेती पर जोर दिया है. हालांकि रबी सीजन में ज्वार और गेहूं मुख्य फसलें हैं लेकिन घटती दरों और कटाई में कठिनाई के कारण किसान अब सरसों का विकल्प चुन रहे हैं.साथ ही बारिश से दोहरी बुवाई का संकट झेल रहे हैं इसलिए किसान सरसों पर ध्यान दे रहे हैं.
हालांकि सरसों की बुवाई बहुत छोटे क्षेत्रों में की जाती है लेकिन इस साल तस्वीर बदल रही है.किसान गेहूं के विकल्प के रूप में सरसों की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.क्योंकि इसकी कीमत न्यूनतम बेस प्राइस से 60 से 70 फीसदी ज्यादा है. ऐसे में किसान वैज्ञानिको की सलाह से सरसों की खेती करें तो फसल बेहतर होगी.इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी किसानों को गेहूं और सरसों की बुवाई करने की सलाह दी है.
गेहूं की बुवाई करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
गेहूं रबी मौसम की प्रमुख फसल है.बुवाई के दौरान खेत की मिट्टी में नमी का होना जरूरी है.बुवाई से पहले हल्की खेती तभी करनी चाहिए जब खेत में नमी हो. खेत की सिंचाई करने का समय होने पर भी यह काम कर सकता है, लेकिन सूखी भूमि पर बुवाई के बाद अंकुरण नहीं होता है.
मौसम को देखते हुए किसान गेहूँ की बुवाई के लिए खाली खेत तैयार करें.साथ ही उन्नत बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराना चाहिए. बुवाई से एक घंटे पहले बीजोपचार करना महत्वपूर्ण है. अन्यथा बीजों में फफूंद संक्रमण का खतरा होता है.किसान गेहूं की खेती में एचडी 3226, एचडी 18, एचडी 3086 और एचडी 2967 किस्मों की बुवाई करें.
सरसों की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी
(1) सरसों के संबंध में कृषि वैज्ञानिकों का मत है कि किसान तापमान को देखते हुए सरसों की बुवाई करें. सरसों की बुवाई में अधिक देर न करें.
(2) मिट्टी का परीक्षण भी करें.सल्फर की कमी होने पर अंतिम जुताई पर 20 किग्रा/हेक्टेयर डालें. यह भी सुनिश्चित करें कि बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी हो.
(3) किसान पूसा विजय, पूसा-29, पूसा-30, पूसा-31 किस्मों की बुवाई करें, ताकि उत्पादन बढ़े.वहीं, बुवाई से पहले खेत में नमी का स्तर बनाए रखना चाहिए ताकि अंकुरण प्रभावित न हो.
(4) बिजाई से पहले कैप्टन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए.साथ ही पंक्तियों में बुवाई करना अधिक लाभदायक होगा.
(5) कम फैलने वाली किस्मों के मामले में, 30 सेमी. यदि अधिक फैलने वाली किस्में हैं, तो पंक्तियों में 45-50 सेमी की दूरी पर बुवाई करें. पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेमी होनी चाहिए. वैज्ञानिक तकनीकों से किसान गेहूं और सरसों की खेती कर सकते हैं. इससे पैदावार अच्छी होगी और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.