नई दिल्ली। मूडीज द्वारा जीडीपी पूर्वानुमान में सुधार और ब्लूमबर्ग बॉन्ड इंडेक्स में भारत को शामिल किए जाने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का महत्व बढ़ गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चालू वित्तवर्ष 24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया, जबकि पहले अनुमान 6.1 प्रतिशत था।
ब्लूमबर्ग ने मंगलवार को ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट (ईएम) स्थानीय मुद्रा सरकारी सूचकांक में भारत एफएआर बांड को शामिल करने की घोषणा की। ब्लूमबर्ग एलपी के संस्थापक माइकल आर ब्लूमबर्ग ने कहा, "यह भारत के वित्तीय बाजारों के विकास में एक महत्वपूर्ण मार्कर है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा, "वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में भारत का लगातार उभरना इस दशक के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक विकासों में से एक होने कावादा करता है और ब्लूमबर्ग अधिक निवेशकों को भारत से जोड़कर इसे मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि ब्लूमबर्ग का इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को शामिल करने का निर्णय जेपी मॉर्गन के उभरते बाजार बॉन्ड इंडेक्स में भारत को शामिल करने के जेपी मॉर्गन के फैसले के बाद आया है।
ब्लूमबर्ग बॉन्ड इंडेक्स में भारत के शामिल होने से 5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। वैश्विक वित्तीय घराने भारत की मजबूत वृद्धि के बारे में बात कर रहे हैं। डीबीएस ग्रुप रिसर्च के एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री तैमूर बेग और डीबीएस ग्रुप रिसर्च के वरिष्ठ अर्थशास्त्री नाथन चाउ ने कहा, “भारत कई मायनों में अच्छे स्थानों पर है। भू-रणनीतिक से लेकर जनसांख्यिकी तक वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को अनुकूल रूप से देखने के लिए कई प्रेरक कारक हैं।
इसके अलावा, घरेलू बुनियादी ढांचे, भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक दोनों में काफी सुधार हुआ है, सामाजिक कल्याण का विस्तार हुआ है, उपभोक्ता विश्वास बढ़ा है और परिसंपत्ति बाजार में उछाल आया है। नोट में कहा गया है कि बाहरी संतुलन, जो लंबे समय से अस्थिर निवेश प्रवाह और वैश्विक ऊर्जा झटकों के प्रति संवेदनशील था, अब बेहतर होने लगा है, क्योंकि सेवाओं का अधिशेष अधिकांश व्यापार घाटे की भरपाई कर देता है।
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने कहा कि सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर प्रोत्साहन के कारण मजबूत औद्योगिक प्रदर्शन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तवर्ष 24 की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई, जबकि वित्तवर्ष 23 की तीसरी तिमाही में यह 4.3 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, “सरकार का अनुमान है कि वित्तवर्ष 24 में भारत की वृद्धिदर 7.6 प्रतिशत होगी, जबकि पिछले वर्ष में यह 7 प्रतिशत थी। हमारा मानना है कि विकास समर्थक नीतियों, घरेलू मांग की स्थिति में सुधार, सरकारी खर्च और निजी फर्मों की क्षमता उपयोग में सुधार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।''