अगर Bonds में करते हैं निवेश तो जानिए इसमें निवेश के क्या फायदे हैं और टैक्स को लेकर क्या हैं नियम
निवेशक के तौर पर जब आप अपने लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प की तलाश करते हैं तो बॉन्ड में निवेश करना बेहतर माना जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। निवेशक के तौर पर जब आप अपने लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प की तलाश करते हैं तो बॉन्ड में निवेश करना बेहतर माना जाता है. यह एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें आपको फिक्स्ड रिटर्न मिलता है. इक्विटी मार्केट में निवेश पर रिटर्न ज्यादा मिलता है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा होता है. वहीं डेट इंस्ट्रूमेंट में रिटर्न कम होता है, लेकिन फिक्स्ड होता है.
यही वजह है कि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो डेट फंड का रिटर्न कम होता है, वहीं इक्विटी फंड में बेहतर रिटर्न ऑफर किया जाता है. बॉन्ड, डिबेंचर, लीज, सर्टिफिकेट, बिल ऑफ एक्सचेंज प्रमुख डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं. इस आर्टिकल में बॉन्ड में निवेश के बारे में विशेष रूप से जानेंगे. इसमें निवेश के क्या फायदे हैं और टैक्स को लेकर क्या नियम हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.
पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड और बैलेंस्ड रखें
पोर्टफोलियो मैनेजर्स हमेशा एकबात को कहते हैं को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखें. इसमें इक्विटी के साथ-साथ डेट को भी शामिल करें. इससे नेट आधार पर रिटर्न भी अच्छा मिलेगा और पोर्टफोलियो भी सुरक्षित रहेगा. अगर आप बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं तो बाजार में यह कई तरह का उपलब्ध है.
हर बॉन्ड की अपनी खासियत
अलग-अलग बॉन्ड के लिए टाइम पीरियड, टैक्स बेनिफिट, कूपन रेट और लॉक-इन पीरियड अलग-अलग हैं. कुछ बॉन्ड टैक्सेशन का लाभ देते हैं तो कई बॉन्ड पर फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा इंट्रेस्ट ऑफर किया जाता है. अगर बॉन्ड का ड्यूरेशन लंबा है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी देना होता है.
54EC Bonds की खासियत
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन की तरफ से जो बॉन्ड जारी किया जाता है वह अनलिस्टेड होता है. यह 54EC Bonds होता है. इसमें इंट्रेस्ट पर टैक्स जमा करना होता है, हालांकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. कम से कम 10 हजार और अधिकतम 50 लाख निवेश किया जा सकता है.
इंट्रेस्ट पर लगता है टैक्स
लिस्टेड बॉन्ड में निवेश करने पर इंट्रेस्ट इनकम टैक्सेबल होती है. शॉर्ट टर्म कैपिटल भी टैक्सेबल होता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10.40 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. 1 साल से ज्यादा होने पर लॉन्ग टर्म माना जाता है.
टैक्स फ्री बॉन्ड
टैक्स फ्री बॉन्ड जो लिस्टेड होता है वह Section 10(15) के अंतर्गत आता है वह लॉन्ग पीरियड के लिए होता है. इसमें इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स नहीं लगता है. हालांकि शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए टैक्स भरना होता है. टैक्स फ्री बॉन्ड जो अनलिस्टेड होता है, उसके लिए 3 साल से ज्यादा लॉन्ग टर्म माना जाता है. इसके लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20.80 फीसदी का टैक्स लगता है.