GST Compensation: इन 20 राज्यों को मिली 68,825 करोड़ उधार लेने की अनुमति, जानें पूरा विवरण

केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) से होने वाली आमदनी में कमी की पूर्ति के लिए 20 राज्यों को 68,825 करोड़ रुपये...

Update: 2020-10-13 14:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) से होने वाली आमदनी में कमी की पूर्ति के लिए 20 राज्यों को 68,825 करोड़ रुपये की उधारी लेने की अनुमति मंगलवार को दे दी। राज्यों के जीएसटी संग्रह में आने वाली कमी की क्षतिपूर्ति के तौर-तरीकों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सोमवार को आयोजित जीएसटी परिषद की बैठक में भी किसी भी तरह की सर्वसम्मति नहीं बनी पाई थी, जिसके एक दिन बाद केंद्र ने यह निर्णय किया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है

केंद्र सरकार ने राजस्व की भरपाई के लिए अगस्त में राज्यों के सामने दो विकल्प रखे था। इन विकल्पों के तहत केंद्र ने कहा था कि या तो राज्य रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष विंडो से 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेकर भरपाई करें या फिर पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि बाजार से उठाएं।

इसके अलावा केन्द्र सरकार ने लग्जरी और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है। इससे राज्यों को कर्ज के भुगतान में मदद मिलेगी।

सरकार की ओर मंगलवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले व्यय विभाग ने 20 राज्यों को बाजार से 68,825 करोड़ रुपये की उधारी उठाने की अनुमति मंगलवार को दे दी।

बयान में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय की ओर से दिए गए दो विकल्पों में से पहले विकल्प को चुनने वाले राज्यों को अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दे दी गई है।

इस बयान में कहा गया है कि 27 अगस्त को आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में दो विकल्प रखे गए थे और राज्यों को 29 सितंबर को इस बारे में जानकारी दी गई थी। 

आधिकारिक बयान के मुताबिक '20 राज्यों ने पहला विकल्प चुना है। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। आठ राज्यों ने अब तक कोई विकल्प नहीं चुना है।'

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