त्योहारी सीजन में सोना खरीदते समय पक्का बिल हुआ बेहद जरूरी, जानिए क्यों

Update: 2022-10-18 13:30 GMT

दिल्ली: त्योहारी सीजन में सोने-चांदी की जबर्दस्त डिमांड है। सर्राफा बाजारों में भीड़ इस बात की गवाह है। धनतेरस और दिवाली के मौके पर सोना या चांदी खरीदना शुभ माना जाना जाता है। अगर आप बाजार में सोने-चांदी के जेवर खरीदने निकलें तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। मसलन सोने की शुद्धता, बिल, मोल-भाव, सोने का करेंट रेट, कहीं 18 कैरेट गोल्ड के लिए 22 कैरेट का दाम तो नहीं वसूल रहा ज्वेलर्स आदि-आदि। बता दें पक्का बिल आपके सोने की खरीदारी का एक रिकॉर्ड होता है। साथ ही यह शुद्धता का भरोसा दिलाने के साथ-साथ किसी टेक्स संबंधी पूछताछ में भी आपकी मदद करता है।

वैधता का प्रमाण: उपयुक्त बिल के बिना सोने की खरीदारी गैर-कानूनी व्यापार गतिविधियों को भी बढ़ावा देती है। इनवॉइस से पता चलता है कि आपने उस जौहरी से शुद्धता और मूल्य का एक खास जेवर खरीदा है।

खरीदारी का उचित मूल्य: एक उपयुक्त इनवॉइस में बनाई शुल्क, सोने का भाव और आपके द्वारा चुकाया गया जीएसटी भी दर्ज रहता है। इन विवरणों के अभाव में आपसे आपकी खरीदारी की ज्यादा कीमत वसूली जा सकती है।

ध्यान रखें

हॉलमार्क

मेकिंग चार्जेस पर मोलभाव

कीमतों पर रखें नजर

बिल

वजन चेक करना

वैध स्वामित्व का प्रमाण न होने पर क्या होगा:

दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने बरामदगी और तलाशी के दौरान मिलने वाली अघोषित संपत्ति पर जुर्माना लगा दिया है। इसका अर्थ है कि जहां विरासत में मिले उन जेवरों के लिए कोई सीमा-रेखा नहीं है जिनका हिसाब आपके पास है, वहीं बिना हिसाब वाले जेवरों की सीमा पार होने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रमाण न दे पाने की स्थिति में सीमा से अधिक सोने के लिए 60 फीसद तक जुर्माना और 25 फीसद का सरचार्ज लग सकता है।

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