सावधान: तेज गाड़ी भागने वालों का अब स्पीड ट्रैप कैमरा से कटेगा चालान, ये है पुलिस की प्लानिंग
भारत में अगर सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं
भारत में अगर सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं तो उनका मुख्य कारण है गाड़ी की तेज स्पीड. लेकिन अब इन गाड़ियों को रोकने के लिए अथॉरिटीज़ और पुलिस सड़कों और हाईवे पर स्पीड डिटेक्टिंग कैमरा लगा रहे हैं. इन कैमरों को हमेशा के लिए पोल पर फिक्स कर दिया जाएगा. इस दौरान जो भी गाड़ी तेजी से आएगी ये स्पीड कैमरा इसका पता लगाकर पुलिस को जानकारी दे देंगे. इनका इस्तेमाल रोड पर कहीं भी किया जा सकता है.
फिलहाल इस सिस्टम को दिल्ली हरियाणा के रास्ते में देखा गया है जहां पुलिस ने गाड़ी के पीछे अपना स्पीड डिटेक्शन सिस्टम लगा रखा है है. ऐसे में इन कैमरों की मदद से जो भी गाड़ी आ रही है उसके स्पीड का पता लगाकर गोड़ी को रोक लिया जा रहा है और उसका चालान किया जा रहा है. स्पीड ट्रैप कैमरा को पुलिस ने मारुति सुजुकी अर्टिंगा में इंस्टॉल किया है. इस दौरान एक ऑपरेटर लगातार कैमरे को चलाता है.
बता दें कि ऑपरेटर जिस भी गाड़ी की तेज स्पीड देखता है वो अपने सीनियर अधिकारी को उस गाड़ी को रोकने के निर्देश देता है. जिसके बाद तेजी से गाड़ी चला रहे ड्राइवर पर 2000 रुपए का चालान किया जाता है. इसके अलावा उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी तीन महीने के लिए रद्द किया जा सकता है.
कैसे करता है स्पीड ट्रैप कैमरा काम
ये कैमरे रडार आधारित कैमरे होते हैं. ये कैमरे किसी भी गाड़ी की स्पीड पकड़ने के लिए डॉप्लर इफेक्ट का इस्तेमाल करते हैं. ये रडार कैमरा रेडियो वेव्स छोड़ते हैं जो स्पीड ऑफ लाइट से ट्रैवल करता है. रेडियो वेव फिर गाड़ी से टकराते हैं. टकराने के बाद ये वापस सिस्टम के पास आते हैं जहां इसका रियल टाइम कैलकुलेट हो जाता है.
बता दें कि लेजर गन का इस्तेमाल भी ऐसे ही किया जाता है लेकिन ये काफी ज्यादा महंगे होते हैं. मॉडर्न रडार आधारित सिस्टम ANPR यानी की ऑटमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम के साथ आते हैं. ये गाड़ी के नंबर को भी नोट कर लेते हैं. ऐसे में एक बात तो साफ हो गई है कि, इन सिस्टम्स के आने के बाद पुलिस को काफी मदद मिलने वाली है तो वहीं ड्राइवर्स का काफी चालान कटने वाला है.