सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया का बड़ा फैसला, जानिए क्या होगा रिटेल इन्वेस्टर्स पर असर

म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री के लिए सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने बड़ा फैसला लिया है

Update: 2021-06-04 06:52 GMT

म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री के लिए सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने बड़ा फैसला लिया है. सेबी ने इंडिविजुअल म्यूचुअल फंड के लिए ओवरसीज इन्वेस्टमेंट लिमिट को 600 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 1 बिलियन डॉलर कर दिया है. इसके अलावा ओवरसीज एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट को प्रति फंड 200 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 300 मिलियन डॉलर कर दिया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से रिटेल निवेशकों का काफी लाभ मिलेगा.

वर्तमान में कई म्यूचुअल फंड्स 600 मिलियन डॉलर के ओवरसीज इन्वेस्टमेंट लिमिट के काफी करीब पहुंच चुके हैं. ऐसे में यह लिमिट बढ़ने से ग्लोबल एक्सपोजर बढ़ेगा. फंड हाउस के लिए पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन में आसानी होगी. कई सारी सुविधाएं केवल विदेशों में उपलब्ध हैं, उनका लाभ अब ज्यादा मिलेगा. जानकारों का कहना है कि पोर्टफोलियो में अगर ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन को शामिल किया जाता है तो वोलाटिलिटी घट जाती है. निवेशक की बात करें तो वे ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन वाले फंड के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं. वहां बेनिफिट के साथ-साथ सिक्यॉरिटी भी है. ऐसे में अगर फंड हाउस के लिए लिमिट बढ़ जाने से कई स्कीम्स जो लिमिट तक पहुंच चुकी थी, उसके दरवाजे निवेशकों के लिए अभी भी खुले रहेंगे.
ओवरसीज एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की लिमिट 300 मिलियन डॉलर
इससे पहले नवंबर 2020 में सेबी ने प्रत्येक फंड हाउस के लिए ओवरसीज इन्वेस्टमेंट लिमिट को 300 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 600 मिलियन डॉलर किया था. हालांकि पूरे म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए ओवरसीज लिमिट को 7 बिलियन डॉलर पर बरकरार रखा गया है. इसके अलावा ओवरसीज एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में इंडिविजुअल म्यूचुअल फंड अब 300 मिलियन डॉलर तक निवेश कर सकते हैं. हालांकि पूरी इंडस्ट्री के लिए यह निवेश की सीमा 1 बिलियन डॉलर पर बरकरार है.


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