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दुनिया का पहला लिंग ट्रांसप्लांट, 21 साल के लड़के को लगाया गया था मृत व्यक्ति का लिंग

Neha Dani
12 Dec 2021 2:22 AM GMT
दुनिया का पहला लिंग ट्रांसप्लांट, 21 साल के लड़के को लगाया गया था मृत व्यक्ति का लिंग
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उड़ने के कारण उन्हें विमान के कुछ हिस्सों को बहुत मजबूत बनाना होगा।

चीन हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अब हाइपरसोनिक हवाई जहाज बना रहा है। इस जहाज की स्पीड 19312 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा होने का दावा किया जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह विमान एक घंटे के भीतर 10 यात्रियों को दुनिया में कहीं भी ले जाने में सक्षम होगा। 148 फीट (45 मीटर) लंबा विमान बोइंग 737 से लगभग एक तिहाई बड़ा है। इतना ही नहीं, इसमें ब्रिटिश सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट कॉनकॉर्ड के जैसे डेल्टा विंग लगे हुए हैं।

2035 तक फ्लीट तैयार करने का ख्वाब देख रहा चीन
चीन का लक्ष्य 2035 के अंत तक इस विमान का एक बेड़ा तैयार करने की है। इसके बाद 2045 तक इस विमान को 100 यात्रियों के ले जाने लायक बनाया जाएगा। हालांकि, उनका उद्देश्य अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। चीन इन विमानों का इस्तेमाल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट और लड़ाकू विमानों या बॉम्बर्स की तरह भी कर सकता है। विमान अपने जटिल डिजाइन की बदौलत ध्वनि की गति से पांच गुना तेज करने में सक्षम होगा।
ऐसे हुआ चीनी हाइपरसोनिक विमान के प्रोटोटाइप का खुलासा
चीन के मंगल और चंद्र मिशन में शामिल वैज्ञानिकों की एक स्टडी में इस हाइपरसोनिक विमान के प्रोटोटाइप का खुलासा हुआ था। यह विमान बोइंग मंटा एक्स-47सी की डिजाइन पर आधारित था। इस परियोजना को काफी खर्चीला होने के कारण नासा ने 2000 में छोड़ दिया था। नासा हाइपरसोनिक कार्यक्रम के एक पूर्व इंजीनियर मिंग हान तांग ने टू-स्टेज व्हीकल (TSV) एक्स-प्लेन तकनीक को डिजाइन किया है।
विमान के बीच में लगे होंगे दो इंजन
इस विमान के बीच में दो इंजन लगे होंगे। डेल्टा विंग होने के कारण इंजनों को विमान के पंखों पर न लगाकर मेन बॉडी के बीच में सेट किया गया है। जर्नल ऑफ प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक पेपर में टीम ने कहा कि यह प्रोटोटाइप तबतक उत्पादन में नहीं पहुंच सकता, जबतक हम इसके इंजन और बाकी तकनीक को पूरी तरह से विकसित नहीं कर लेते हैं।
एरोडॉयनमिक मॉडल का भी टेस्ट किया गया
चीनी वैज्ञानिकों ने इस विमान के लिए एक एरोडॉयनमिक मॉडल को भी टेस्ट किया है। यह मॉडल हाल में ही चीनी अंतरिक्ष मिशनों में इस्तेमाल किया गया था। इससे विमान के अधिक ऊंचाई पर भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई गई है। इस परीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि गर्मी और अत्याधिक स्पीड से उड़ने के कारण उन्हें विमान के कुछ हिस्सों को बहुत मजबूत बनाना होगा।

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