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WHO ने मंकीपाक्स का नाम बदलने के लिए लोगों से मांगे सुझाव, जानें क्या है इसके पीछे का कारण
Renuka Sahu
14 Aug 2022 12:54 AM GMT
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फाइल फोटो
मंकीपाक्स की बीमारी दुनियाभर में अपने पैर पसार रही है। इस बीच इस बीमारी का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंकीपाक्स की बीमारी दुनियाभर में अपने पैर पसार रही है। इस बीच इस बीमारी का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (मंकीपाक्स, मंकीपाक्स वायरस, मंकीपाक्स नए नाम, डब्ल्यूएचओ, जनता से रिश्ता हिंदी न्यूज़, हिंदी न्यूज़, jantaserishta hindi news, monkeypox, monkeypox virus, monkeypox new names, WHO,
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दो वेरिएंट के नाम बदले
शुक्रवार को एक बयान में WHO ने कहा कि उसने इस विवाद से बचने के लिए भौगोलिक क्षेत्रों के बजाय रोमन अंकों का उपयोग करते हुए वायरस के दो वेरिएंट का नाम बदल दिया है। पहले कांगो बेसिन के रूप में जाना जाने वाला रोग का संस्करण अब क्लैड वन या क्लैड I के रूप में जाना जाएगा और पश्चिम अफ्रीका क्लैड को क्लैड टू या II के रूप में जाना जाएगा।
यह है नाम बदलने का कारण
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस सप्ताह वैज्ञानिकों की एक बैठक के बाद बीमारियों के नामकरण के लिए वर्तमान सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप निर्णय लिया गया है। बता दें कि फिलहाल WHO किसी भी बिमारी का नाम क्षेत्र से संबंधित भी रख देता है, जिससे उस क्षेत्र की साख भी प्रभावित होती है। इसलिए अब नाम बदलने का फैसला लिया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, पेशेवर या जातीय समूहों का अपमान होने से बचाना है।
जापानी इंसेफेलाइटिस, मारबर्ग वायरस, स्पेनिश इन्फ्लूएंजा और मिडिल ईस्टर्न रेस्पिरेटरी सिंड्रोम सहित कई अन्य बीमारियों का नाम उन भौगोलिक क्षेत्रों के नाम पर रखा गया है जहां वे पहली बार पैदा हुए थे या उनकी पहचान की गई थी। डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक रूप से इनमें से किसी भी नाम को बदलने का सुझाव नहीं दिया है।
लोगों से मांगे नाम के सुझाव
मंकीपाक्स का नाम पहली बार 1958 में रखा गया था जब डेनमार्क में अनुसंधान बंदरों में 'पॉक्स जैसी' बीमारी देखी गई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह लोगों के लिए मंकीपॉक्स के लिए नए नाम सुझाने का रास्ता भी खोल रहा है, हालांकि उसने यह नहीं बताया कि किसी नए नाम की घोषणा कब की जाएगी।
31,000 से अधिक मामलों की पहचान
बता दें कि अब तक मई के बाद से वैश्विक स्तर पर मंकीपाक्स के 31,000 से अधिक मामलों की पहचान की गई है। इनमें से अधिकांश अफ्रीका से बाहर हैं। मंकीपाक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लोगों में पाया गया है। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने जुलाई में मंकीपाक्स के वैश्विक प्रसार को एक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया था और अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में इसे राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया।
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