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सीरिया में खड़ा हुआ 'गेहूं संकट', रोटियों की कमी से भूखे सोने को मजबूर हैं बच्चे

Renuka Sahu
9 Oct 2021 3:44 AM GMT
सीरिया में खड़ा हुआ गेहूं संकट, रोटियों की कमी से भूखे सोने को मजबूर हैं बच्चे
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फाइल फोटो 

सीरिया में पिछले 10 सालों से अधिक समय से गृहयुद्ध जारी है, इस वजह से देश में खाने की किल्लत पैदा हो गई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सीरिया (Syria) में पिछले 10 सालों से अधिक समय से गृहयुद्ध (Civil War) जारी है, इस वजह से देश में खाने की किल्लत पैदा हो गई है. पूर्वी सीरिया (Eastern Syria) में आठ बच्चों की मां कहवा का कहना है कि देश में गंभीर गेहूं संकट (Wheat Crisis in Syria) के कारण उन्हें अपने बच्चों को खिलाने के लिए घर पर रोटी पकाना शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने कहा, हमारे लिए बेकरी की रोटी ही काफी नहीं है. मुझे अपने बच्चों को खिलाने के लिए आटा बनाने और सेंकने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हमें कम से कम 50 रोटियां चाहिए.

कभी एक ऐसा देश जो मध्यपूर्व में गेहूं की घरेलू जरूरतों से अधिक का उत्पादन करता है. ऐसा करने वाला वह क्षेत्र का एकमात्र का देश था. लेकिन अब सीरिया को गेहूं को आयात करने की जरूरत पड़ती है. डीर एजोर (Deir Ezzor) और रक्का (Raqqa) में यूफ्रेट्स यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर फैकल्टी के डीन प्रोफेसर उमर अब्दुल रज्जाक ने कहा कि सीरिया का उत्तरपूर्वी क्षेत्र सीरिया के गेहूं उत्पादन के 50 से 60 फीसदी के बीच उत्पादन करता था. लेकिन युद्ध के दौरान ये क्षेत्र देश के नियंत्रण से बाहर हो गया. 2020 में देश केवल लगभग 10 लाख टन गेहूं उगाने में सफल रहा, जो इसकी जरूरत का एक तिहाई है.
1.24 करोड़ सीरियाई कर रहे हैं खाद्य असुरक्षा का सामना
सीरियाई सरकार (Syrian government) ने प्रत्येक परिवार द्वारा खरीदी जा सकने वाली रोटी की मात्रा को सीमित कर दिया गया. वहीं, पिछले एक साल में दो बार कीमतों को दोगुना करने के सरकार के फैसले की वजह से लाखों सीरियाई लोग गरीबी की चपेट में आ गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, 1.24 करोड़ सीरियाई नागरिक, जो आबादी का तीन चौथाई हैं, खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. दरअसल, देश को 10 लाख हेक्टेयर जमीन को युद्ध के बाद हारना पड़ा है. सीरियाई सरकार लंबे समय से इस्लामिक स्टेट (Islamic State) से जंग लड़ रही है.
रोटियों की कमी से भूखे सोने को मजबूर हैं बच्चे
एक अन्य सीरियाई मां जमीला ने कहा, 'हम सप्लायर से रोटी खरीदते हैं. आज, एक बंडल की कीमत 500 लीरा है. इसमें 14 रोटियां होती हैं. ये पूरे परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है. कभी-कभी, एक या दो दिन के लिए, हम रोटी हासिल नहीं कर पाते हैं. बच्चे भूखे ही सो जाते हैं, क्योंकि हमें रोटी नहीं मिल पाती है.' उन्होंने कहा, 'हमें रोटी कहां से मिल सकती है? हमें रेड क्रिसेंट (Red Crescent) से सहायता के रूप में गेहूं मिलता है और हम इलेक्ट्रिक ओवन पर बेकिंग करने लगे हैं. हमें दो घंटे बिजली आने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता है और फिर हम आटा बनाते हैं और सेंकते हैं.'


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