क्या मरने के बाद भी कोई जीवन होता है. जब शरीर का अंत हो जाता है तो आत्मा का क्या होता है. ऐसे सवाल सैकड़ों साल से लोगों को परेशान करते रहे हैं और इस पर लोगों के अलग-अलग दावे भी सामने आते रहे हैं.
दूसरे लोक में पहुंची आत्मा
अब एक न्यूरो सर्जन ने मौत के बाद के जीवन का खुलासा किया है. वह न्यूरो सर्जन दिमाग में गंभीर संक्रमण होने के बाद कोमा में चला गया था. इस दौरान उसकी चेतना ने परलौकिक दुनिया में जो कुछ भी देखा (Near Death Experience), उन्होंने अपनी किताब में उसे बयान किया है.
न्यूरोसर्जन के साथ हुई घटना
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में Virginia में रहने वाले 68 साल के Dr. Eben Alexander जाने-माने न्यूरो सर्जन रहे हैं. अपने 25 साल के सफल करियर में वे सैकड़ों लोगों की न्यूरो सर्जरी कर उन्हें नई जिंदगी दे चुके हैं. हालांकि एक वक्त ऐसा आया है, जब वे खुद दिमाग से जुड़ी बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित हो गए और मौत के मुंह में जाते-जाते बचे.
रिपोर्ट के अनुसार, Dr. Eben Alexander 10 नवंबर 2008 को सोकर उठे तो उन्होंने अपने शरीर में तेज दर्द महसूस किया. उनकी पत्नी उन्हें चाय देने आई तो उन्होंने कहा कि उन्हें बॉडी पेन महसूस हो रहा है और वे आराम करेंगे. उनके पत्नी उन्हें चाय देकर चली गई, जिसे पीने के बाद वे फिर से लेट गए. कुछ घंटे बाद जब वे वापस लौटीं तो देखा कि पति उकड़ू पड़े हुए हैं और आंखे शरीर में धंस गई हैं.
दिमाग पर हुआ वायरस का संक्रमण
उनकी हालत देखकर पत्नी घबरा गई और तुरंत एंबुलेंस बनाकर Lynchburg General Hospital अस्पताल लेकर गईं. यह वही अस्पताल था, जिसमें अलेक्जेंडर पिछले कई सालों से एक न्यूरोसर्जन के रूप में काम कर रहे थे. डॉक्टरों ने उनका चेक अप किया तो थोड़ी देर में पता चल गया कि उनका दिमाग एक दुर्लभ प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन E. coli meningoencephalitis से संक्रमित हो गया था. कुछ ही घंटों में यह वायरस उनके मस्तिष्क को कुतरने लगा था.
कोमा में जाने के बाद आत्मा ने छोड़ा शरीर
उनकी हालत बिगड़ती देख डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर एडमिट कर दिया, जहां वे गहरे कोमा में चले गए. डॉक्टरों ने परिवार वालों को कहा कि Alexander के पास केवल कुछ घंटों का ही समय बचा है. उनके जीवित बचने की केवल 10 प्रतिशत संभावना है. अगर बच भी गए तो वे जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो जाएंगे और उन्हें हमेशा दूसरों के सहारे जीना पड़ेगा. डॉक्टरों ने परिवार वालों को यह भी सलाह दी कि वे उन्हें घर ले जाएं और दवाइयां बंद करके अपनी मौत मर जाने दें, जिससे वे कष्टों को भोगने से बच सकें.
डॉक्टरों की इन सलाहों के उलट Alexander एक दूसरी दुनिया की सैर (Near Death Experience) पर निकल चुके थे. वे अपनी किताब में लिखते हैं कि कोमा में जाने के बाद वे पुनर्जन्म का अनुभव कर रहे थे. उनकी शरीर पर पकड़ ढीली हो गई थी और आत्मा उसमें से आजाद हो गई थी. बाहर निकलकर उन्हें महसूस हुआ कि वे किसी अंधेरे तहखाने में फंसे थे और उन्हें कुछ नहीं दिख रहा था. वे बोलना चाहते थे लेकिन बोल नहीं पा रहे थे.
चमकीले गोले की तरह बढ़ी आत्मा
इसके बाद उनकी आत्मा एक फाटक पार करते हुए बड़े चमकीले गोले की ओर बढ़ी. वह गोला प्रकाश से भरा हुआ था और वहां मधुर संगीत बज रहा था. वह प्रकाश का गोला अचानक बीच में से खुल गया, इसके बाद उन्हें हरी-भरी भूमि पर ले जाया गया. जहां पर खूबसूरत झरने बह रहे थे. आकाश में नीले बादल दिख रहे थे. वहां पर किसान खुश होकर नृत्य कर रहे थे. वहां तितलियां उड़ (Near Death Experience) रही थीं. वे मैदान में एक जगह बैठे थे और उनके पास में नीली आंखों वाली एक महिला बैठी थीं.
अंधेरे में दिख रहा था दिव्य प्रकाश पुंज
अलेक्जेंडर का दावा है कि उस महिला ने टेलीपैथिक रूप से बताया कि आपको प्यार किया जाता है. ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप गलत कर सकते हैं. कुछ ही पलों में वह नजारा एकदम गायब हो गया और उसकी जगह अनंत गहराई और कालेपन ने ले लिया. उस गहरे अंधकार में एक प्रकाश पुंज दिख रहा था, जो इस पूरे ब्रह्मांड का निर्माता था.
सामने दिखे 4 जाने-पहचाने चेहरे
रिपोर्ट के मुताबिक Alexander एक हफ्ते तक गहरे कोमा में रहे. इस दौरान उन्हें वह प्रकाश पुंज ही दिखता रहा. उसी दौरान उन्हें 5 दिव्य चेहरे दिखाई दिए. उनमें से 4 चेहरे जाने-पहचाने से लग रहे थे. वहीं एक अनजाना चेहरा था. अचानक उनकी आंख खुल गई और वे फिर से अपनी नॉर्मल जिंदगी में लौट आए. यह देख डॉक्टर भी हैरत में पड़ गए. कुछ महीनों तक ट्रीटमेंट के बाद वे एकदम फिट हो गए और तब से वे नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं.
जीवन के प्रति बदल गया नजरिया
Alexander का कहना है कि उन्होंने मौत के बाद की जिंदगी (Near Death Experience) को नजदीक से देखा है. इससे उनकी जिंदगी अब पहले से बहुत बदल गई है. उन्होंने उस अद्भुत दिव्य पुंज को देखा है, जिसे उन्होंने कोमा के दौरान देखा था. पहले वे मौत के बाद की जिंदगी, आत्मा, परमात्मा पर विश्वास नहीं करते थे लेकिन इस घटना ने उनका नजरिया बदलकर रख दिया. वे अब मानते हैं कि इस जगत में वे सब चीजें हैं, जिन्हें हम महसूस करते हैं. हालांकि हम लोग जीवित रहते हुए उन्हें कभी देख नहीं पाते, इसलिए यकीन भी नहीं होता.