जनता से रिश्ता वेब्डेस्क | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे पर शोक जताया है। उनका कहना है कि वह हादसे के कारण काफी दुखी हैं। बता दें, हादसे में करीब 288 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि मैं और अमेरिकी की पहली महिला जिल बाइडन ट्रेन हादसे की खबर से दुखी हैं। मृतकों और घायलों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने अपनों को खोया है। बाइडन ने आगे कहा कि अमेरिका और भारत एक मजबूत रिश्ता साझा करता है। सांस्कृतिक और पारिवारिक रूप से हो दोनों देश एक दूसरे से एकजुट हैं। उनका कहना है कि अमेरिका की जनता भारत में हुए हादसे के लिए शोक मना रही है। अमेरिका इस दुख की घड़ी में भारत के लोगों के साथ खड़ा है।
ओडिशा के बालासोर के बहनागा बाजार में शुक्रवार को हुए रेल हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 288 तक पहुंच गई है। 1175 घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया, इनमें से 793 को छुट्टी दे दी गई और 382 का इलाज चल रहा है। दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को दो लाख रुपये और अन्य घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओडिशा पहुंचे। इस दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे और उन्होंने हालात का जायजा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कर्मियों के काम की सराहना की। साथ ही लोगों के साहस और करुणा की भी प्रशंसा की। पीएम मोदी ने ट्वीट में दुनिया के नेताओं के शोक संदेशों के लिए उनका आभार जताया। उन्होंने लिखा, ओडिशा में ट्रेन हादसे पर दुनिया के नेताओं के शोक संदेशों से बेहद प्रभावित हूं। उनकी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों को ताकत देंगी। समर्थन के लिए सभी का आभार। बचाव कर्मियों और अन्य अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने लिखा, मैं रेलवे, एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ, स्थानीय अधिकारियों, पुलिस, अग्निशमन सेवा, स्वयंसेवकों और अन्य लोगों की टीमों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करता हूं, जो जमीन पर अथक परिश्रम कर रहे हैं। उनके समर्पण पर गर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में देश के लोगों द्वारा दिखाया गया साहस और करुणा वास्तव में प्रेरणादायक है। ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना के बाद बचाव कार्यों में मदद करने के लिए स्थानीय लोग आगे आए। रक्तदान करने के लिए कतार में खड़े रहे।