विश्व

चीन का खेल QUAD ने प्रशांत क्षेत्र में कैसे बर्बाद कर दिया, समझिए

Renuka Sahu
31 May 2022 6:01 AM GMT
Understand how Chinas game QUAD ruined the Pacific region
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फाइल फोटो 

चीन को करारा झटका लगा है। प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों को साधने की बीजिंग की कोशिश नाकाम रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन को करारा झटका लगा है। प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों को साधने की बीजिंग की कोशिश नाकाम रही है। लेकिन इन द्वीपीय देशों ने चीन के साथ सुरक्षा समझौता क्यों नहीं किया और उसके पीछे क्वाड की क्या भूमिका है, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

पहले सुरक्षा समझौता समझ लेते हैं
रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन ने प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों से बड़े-बड़े वादे किए थे। चीन ने कहा था कि हम अरबों रुपये के प्रोजेक्ट्स बनाएंगे, इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करेंगे, मुफ्त में कोविड के टीके देंगे। आसान भाषा में ये कि हम आपके देश को पहले से बेहतर बनाएंगे। लेकिन बदले में चीन को क्या चाहिए था? रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सबके बदले में चीन इन देशों की साइबर सुरक्षा और पुलिस को ट्रेनिंग देने का काम चाहता था। इसके साथ ही चीन इन देशों के पोर्ट्स का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए भी करना चाहता था। लेकिन प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों ने इस डील पर अपनी ना कर दी है।
इन देशों ने सोलोमन द्वीप से सीखा?
एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इन देशों ने सोलोमन द्वीप और चीन के बीच हुए सुरक्षा समझौते से काफी कुछ सीखा है और वैसे किसी समझौते पर साइन नहीं करने का फैसला किया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन द्वीपीय देशों को लगा है कि इस क्षेत्र में सिर्फ चीन ही एकमात्र खिलाड़ी नहीं है। क्वाड देश भी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में ये देश बेहतर डील पर सोच समझकर साइन करेंगे। तो क्वाड कैसे इन देशों की मदद कर सकता है, आइए जानते हैं।
क्वाड से क्यों है मदद की उम्मीद?
हाल ही में क्वाड की बैठक में कहा गया कि क्वाड देश भारत-प्रशांत क्षेत्र में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करने वाले हैं। प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों को उम्मीद है कि यह पैसा उनके देशों में भी निवेश किया जाएगा। प्रशांत महासागर क्षेत्र के द्वीपीय देशों का मानना है कि यह पैसा चीन की तरह किसी एक देश से नहीं एक ग्रुप से आ रहा है जिसमें ऑस्ट्रलिया और जापान के साथ ही भारत और अमेरिका जैसे देश हैं। ये देश हमसे किसी सुरक्षा समझौता पर साइन नहीं करवा रहे हैं ऐसे में हम इन देशों पर निर्भर नहीं होंगे।
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