विश्व
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में तुर्की ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा
Apurva Srivastav
24 Feb 2021 3:07 PM GMT
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पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की (Turkey) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है
पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की (Turkey) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है. परिषद के 46वें सत्र में तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुट कावोसोग्लू ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों में ढील देने की मांग भारत से करते हैं. कावोसोग्लू ने कहा कि कश्मीर समस्या का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि हाल ही में ग्रीस की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन अपने भाड़े के लड़ाकों को कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए भेज सकते हैं. इसके लिए एर्दोगन के एक सैन्य सलाहकार ने कश्मीर को लेकर अमेरिका में सक्रिय एक आतंकी संगठन के चीफ का सहयोग भी लिया है. ग्रीस की पेंटापोस्टाग्मा नाम की एक वेबसाइट पर प्रकाशित हुई खबर के मुताबिक, तुर्की के भाड़े के लड़ाकों का सैन्य संगठन सादात (SADAT) अब कश्मीर में एक्टिव होने की तैयारी कर रहा है. दरअसल, तुर्की खुद को मध्य एशिया में अग्रणी शक्ति के रूप में दिखाना चाहता है, इसलिए वह पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर में हिंसा फैलाने की साजिश रच रहा है.
पाकिस्तान की मदद कर जम्मू-कश्मीर में हिंसा की साजिश!
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने इसकी जिम्मेदारी सादात को सौंपी है. सादात का नेतृत्व एर्दोगन के सैन्य सलाहकार अदनान तनरिवर्दी करता है. जिसने कश्मीर में बेस तैयार करने के लिए कश्मीर में जन्मे सैयद गुलाम नबी फई नाम के आतंकी को नियुक्त किया है. फई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पैसों पर भारत के खिलाफ भाड़े के सैनिकों की भर्ती करने और टैक्स चोरी के लिए अमेरिका की जेल में दो साल की सजा काट चुका है.
भारत दे चुका है तीखी प्रतिक्रिया
इससे पहले भारत ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन के पाकिस्तान की संसद में दिए बयान का कड़ा विरोध किया था. इसी महीने पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र में एर्दोगन ने आम कश्मीरियों के संघर्ष की तुलना पहले विश्व युद्ध (World War-1) के दौरान तुर्की के युद्ध से कर दी थी. इस पर विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, 'एर्दोगन के बयान से साफ है कि उन्हें ना तो इतिहास की जानकारी है और ना ही कूटनीतिक व्यवहार की समझ है.'
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