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दुनिया को करना पड़ सकता है एक और महामारी का सामना, WHO ने किया चौंकाने वाला दावा

Neha Dani
2 April 2022 5:17 AM GMT
दुनिया को करना पड़ सकता है एक और महामारी का सामना, WHO ने किया चौंकाने वाला दावा
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इसके बावजदू हमकों अभी भी पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है.

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. इससे एक तरफ जहां जान-माल का काफी नुकसान हुआ. वहीं, देशों की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है. हालांकि, अभी भी कोरोना (Corona) के नए मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दावा किया है कि लोगों को एक और महामारी का सामना करना पड़ सकता है.

कीटों से फैल सकती है महामारी
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के मुताबिक, WHO का कहना है कि अगली महामारी कीट-जनित वायरस (Insect-Borne Diseases) से हो सकती है. डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कीट पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. ये कीट बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं. Yellow Fever, जीका, चिकनगुनिया और डेंगू जैसे अर्बोवायरस मच्छरों और टिक्स जैसे आर्थ्रोपोड्स द्वारा फैलाए जाते हैं. ऐसे में इनकी वजह से अगली महामारी आ सकती है.
विशेषज्ञ बना रहे हैं रणनीति
ये कीट अधिकतर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पनपते हैं, जहां पर लगभग चार अरब लोग रहते हैं. ऐसे में अब विशेषज्ञ महामारी को रोकने के लिए रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. WHO के ग्लोबल इंफेक्शियस हैजर्ड प्रिपेयर्डनेस टीम के निदेशक डॉ. सिल्वी ब्रायंड ने कहा कि हम पिछले 2 साल से कोविड महामारी से गुजर रहे हैं. इस दौरान हमने सीखा है कि ऐसी घटनाओं के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा.
सार्स और इन्फ्लूएंजा का है एक्सपीरियंस
उन्होंने कहा कि हमारे पास साल 2003 में सार्स (SARS) और 2009 में इन्फ्लूएंजा (Influenzae) महामारी का अनुभव था. वहीं, अगली महामारी को लेकर बहुत हद तक आशंका है कि यह कीटों से होने वाले नए अर्बोवायरस (Arbovirus) के कारण हो सकती है. बता दें कि 2016 से 89 से अधिक देशों ने जीका वायरस के प्रकोप का सामना किया था. साल 2000 की शुरुआत से ही पीले बुखार का खतरा बढ़ रहा है. डेंगू बुखार 130 देशों में हर साल 390 मिलियन लोगों को संक्रमित करता है.
पुनर्मूल्यांकन की जरूरत
WHO के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉक्टर माइक रयान ने कहा कि इनमें से हर बीमारी पर निगरानी रखने और रिसर्च से काफी लाभ हुआ है. इसके बावजदू हमकों अभी भी पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है.

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