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पिछले एक हफ्ते में तालिबान ने जितनी तेजी से अफगानिस्तान के दो बड़े प्रांतों की राजधानी पर कब्जा जमाया है
पिछले एक हफ्ते में तालिबान ने जितनी तेजी से अफगानिस्तान के दो बड़े प्रांतों की राजधानी पर कब्जा जमाया है, उससे विश्व बिरादरी में चिंता तो बढ़ी है। लेकिन तालिबान को मिल रही मदद रोकने को लेकर विश्व बिरादरी की तरफ से कोई ठोस कदम उठाने के संकेत नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान के हालात पर हुई चर्चा में तालिबान को मदद देने के मामले में पाकिस्तान की भूमिका पर कई देशों ने सीधे तौर पर या परोक्ष तौर पर सवाल उठाए। लेकिन किस तरह से इसे रोका जाए, इसको लेकर कोई राह निकलती नहीं दिख रही है।
अफगानिस्तान ने कहा, पाक के 20 आतंकी संगठन तालिबान के साथ मिलकर कर रहे हिंसा
यूएनएससी में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसकजई ने बढ़ रहे संकट में पाकिस्तान की भूमिका को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को यह संदेश देने में विफल रहा कि वह अपनी हरकतों से बाज आए। इसकजई ने अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान के 20 आतंकी संगठन तालिबान के साथ मिलकर हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा, टीटीपी, एमएमयू जैसे संगठन के 10 हजार आतंकी शामिल हैं। यही नहीं उन्होंने अफगान-पाक सीमा के जरिये आतंकियों और उनके लिए हथियार भेजने, घायलों को वापस लाकर इलाज करने व दूसरी मदद देने के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तालिबान को पूरी तरह से सुरक्षा मिली हुई है, जो यूएनएससी की तरफ से पारित प्रस्ताव का भी उल्लंघन है।
अफगानिस्तान के राजदूत ने जो आरोप लगाए हैं, वे आरोप स्वयं वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की मौजूदगी में लगा चुके हैं। नई दिल्ली में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई ने भी हाल ही में यह आरोप लगाया था कि तालिबान के साथ भारत में आतंकी वारदात करने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन भी हैं।
अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर जयशंकर ने चिंता जताई
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई है और अपील की है कि वहां हिंसा के खात्मे के लिए सभी शक्तियां एक साथ काम करें। जयशंकर यहां कतर के विदेश मंत्री के विशेष प्रतिनिधि मुतलाक बिन माजेद अल-कहतानी के साथ बैठक के बाद अपने विचार ट्विटर पर साझा कर रहे थे। इन दोनों के बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई है।
माना जा रहा है कि कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के साथ अमेरिका व दूसरे पक्षों के बीच एक बार फिर जल्द ही वार्ता की कोशिश हो रही है। अल-कहतानी ने विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से भी अलग से बात की है। भारत की तरफ से उन्हें अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर हाल के दिनों में कई देशों से हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी गई।
भारत ने उनके समक्ष यह बात रखी है कि अफगानिस्तान में जब तक समाज के हर वर्ग को पूरी हिफाजत की गारंटी नहीं दी जाएगी, तब तक वहां स्थायी शांति नहीं हो सकती। इसके साथ ही भारत ने वहां पिछले दो दशकों के दौरान चलाए गए विकास कार्यो व लोकतांत्रिक संस्थानों को बनाए रखने की भी वकालत की है।
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Gulabi
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