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रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इटली समेत यूरोप के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा, 20 वर्ष में पहली बार यूरो का हाल बुरा

Renuka Sahu
14 July 2022 1:39 AM GMT
The impact of the Russo-Ukraine war affected the economy of many countries of Europe including Italy, for the first time in 20 years, the condition of the euro was bad.
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फाइल फोटो 

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इटली समेत यूरोप के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इटली समेत यूरोप के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। रूस से मिलने वाले कच्चे तेल पर काफी हद तक निर्भर पूर्वी यूरोप के कुछ हिस्से, जर्मनी, इटली एवं तुर्की के लोगों के लोगों के लिए चीजें पहले से महंगी हो गई हैं। डॉलर के मुकाबले 20 वर्ष में पहली बार यूरो में 12 फीसदी की गिरावट देखी गई है। एक यूरो एक डॉलर पर पहुंच गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न ऊर्जा संकट को इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इसकी वजह से यूरोपीय देशों में आर्थिक मंदी का खतरा उत्पन्न हो गया है।

कड़े कदम के तहत हाल ही में रूस ने नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के रखरखाव की बात कहकर इटली को गैस आपूर्ति में कटौती की है। यूरोप के अन्य देशों में भी हालात बिगड़ रहे हैं। खाद्यान्न संकट और गैस, एवं पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति में कमी की वजह से यह समस्या सामने आई है। बिगड़ती आर्थिक और ऊर्जा संकट की स्थिति से निपटने के लिए इटली आपातकालीन कदम उठाने को मजबूर है।
जर्मनी को 30 साल में पहली बार घाटा : यूरोजोन में महंगाई की दर 8.6 है। जर्मनी को 1991 के बाद पहली बार व्यापार घाटा हुआ है। इसकी वजह तेल की कीमत में काफी तेजी है, सप्लाई चेन की मुश्किलों की वजह से आयात की लागत बढ़ गई है।
हंगरी में ऊर्जा आपातकाल की घोषणा : हंगरी की सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में आपातकाल स्थिति की घोषणा की है। हंगरी के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। हंगरी ने ऊर्जा संसाधनों और जलाऊ लकड़ी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीएमओ के अनुसार, लंबे समय से चल रहे युद्ध और ब्रुसेल्स के प्रतिबंधों ने पूरे यूरोप में ऊर्जा की कीमतों में नाटकीय रूप से वृद्धि की है।
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