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क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने के कारण किसी तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।
अबुजा: नाइजीरिया में इस साल मंकीपॉक्स से मौत के पहले मामले की पुष्टि हुई है। रोग नियंत्रण एजेंसी ने यह जानकारी दी। नाइजीरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने रविवार को कहा कि इस साल 66 संदिग्ध मामलों में से मंकीपॉक्स के 21 मामलों की पुष्टि हुई। नाइजीरिया और पश्चिम तथा मध्य अफ्रीका के अन्य हिस्सों में यह स्थानीय स्तर की महामारी है। अभी तक 20 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के करीब 200 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इस बीच डब्लूएचओ ने कहा है कि मंकीपॉक्स महमारी का रूप नहीं लेगा।
मंकीपॉक्स से 40 साल के मरीज की मौत
सीडीसी ने कहा कि कई रोगों से ग्रस्त और कमजोर प्रतिरक्षा वाले 40 वर्षीय एक मरीज की मौत हुई है। नाइजीरिया में सितंबर 2017 से यह बीमारी बड़े स्तर पर नहीं फैली है लेकिन कुछ मामले आते रहे हैं। सीडीसी ने कहा कि 2017 से 36 राज्यों में से 22 में कम से कम 247 मामलों की पुष्टि हुई है और इनमें मृत्यु दर 3.6 प्रतिशत रही।
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यूरोप और अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामलों ने बढ़ाई टेंशन
यूरोप और अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामलों में वृद्धि के कारण उन देशों में भी चिंताएं बढ़ गई हैं जहां हालिया वर्षों में कोई मामला नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि 20 से ज्यादा देशों में इस बीमारी के करीब 200 मामले आए हैं। अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स के इतने मामले पूर्व में कभी नहीं आए थे।
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ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के कई मामले मिले
नाइजीरिया से ब्रिटेन गए एक व्यक्ति में चार मई को मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई। ब्रिटिश नागरिक के देश से रवाना होने के बाद नाइजीरिया में इस बीमारी के छह मामलों की पुष्टि हुई। सीडीसी के प्रमुख डॉ. इफेदायो अदेतिफा ने कहा कि ऐसा कुछ प्रमाण नहीं मिला है कि ब्रिटिश नागरिक नाइजीरिया में संक्रमित हुआ था। उन्होंने कहा कि नाइजीरिया मंकीपॉक्स के प्रकोप से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
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डब्लूएचओ का दावा- महामारी का रूप नहीं लेगा मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता यह बीमारी एक महामारी का रूप लेगी, लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। उन्होंने कहा कि एक सवाल यह है कि यह बीमारी वास्तव में किस तरह फैलती है और क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने के कारण किसी तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।
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