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अध्ययन कर विज्ञानिको ने किया दावा: कैफीन के अधिक इस्तेमाल से आंखों को खतरा, बढ़ जाती है ग्लूकोमा की आशंका

Deepa Sahu
13 Jun 2021 3:15 PM GMT
अध्ययन कर विज्ञानिको ने किया दावा: कैफीन के अधिक इस्तेमाल से आंखों को खतरा, बढ़ जाती है ग्लूकोमा की आशंका
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अक्सर घर-दफ्तर में काम की थकान को दूर करने के लिए हम चाय-काफी आदि का सेवन करते हैं।

वाशिंगटन, अक्सर घर-दफ्तर में काम की थकान को दूर करने के लिए हम चाय-काफी आदि का सेवन करते हैं। इससे कुछ स्फूर्ति का अनुभव करते हैं और फिर से अपने काम में जुट जाते हैं। यह एक हद तक तो ठीक है, लेकिन यदि आप ऐसा बार-बार करते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। दरअसल, एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि चाय, काफी व अन्य एनर्जी ड्रिंक में पाया जाने वाला कैफीन नेत्र रोग का खतरा बढ़ा सकता है। इस अध्ययन के आधार पर विज्ञानियों ने चेताया है कि बहुत अधिक मात्रा में कैफीन का प्रयोग ग्लूकोमा की आशंका में इजाफा कर देता है। इस अध्ययन का परिणाम आप्थामलाजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

न्यूयार्क स्थित माउंट सिनाई के आइकन स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया यह अपनी तरह का पहला शोध है, जिसमें आहार व आनुवंशिक रूप से ग्लूकोमा होने के खतरे के बारे में बताया गया है। अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि ऐसे मरीज, जिनके परिवार में किसी को ग्लूकोमा हुआ हो उन्हें कैफीन का प्रयोग बहुत कम कर देना चाहिए।
यह अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका में ग्लूकोमा को अंधेपन का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। ग्लूकोमा एक ऐसी स्थिति है जो आंख की आप्टिकल तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ग्लूकोमा आनुवंशिक भी हो सकता है। इसके कारण आंख के अंदर दबाव उत्पन्न होने लगता है। यह दवाब आप्टिकल तंत्रिकाओं को क्षति पहुंचा सकता है। ये तंत्रिकाएं ही मस्तिष्क तक तस्वीरों को भेजती हैं।
इस तरह किया अध्ययन
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक में मौजूद एक लाख 20 हजार लोगों के डाटा का विश्लेषण किया। यह डाटा 2006 से 2010 के बीच का था और प्रतिभागियों की आयु 39 से 73 साल के बीच। इन लोगों के स्वास्थ्य के साथ डीएनए के नमूने भी डाटा में उपलब्ध थे।
यह आया सामने
माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम के नेत्र विज्ञान अनुसंधान के उप प्रमुख और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक लुई आर. पास्क्वेल के मुताबिक, पूर्व के अध्ययन में हमने पाया था कि अधिक मात्रा में कैफीन का प्रयोग करने से तनाव बढ़ता है और यदि परिवार में किसी को ग्लूकोमा है तो अधिक कैफीन इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, हमारे नवीन अध्ययन में अधिक मात्रा में कैफीन के प्रयोग का सीधा संबंध ग्लूकोमा से पाया गया है। अध्ययन में सामने आया है कि जो लोग कैफीन का अधिक मात्रा में प्रयोग करते हैं उनमें ग्लूकोमा की आशंका बढ़ जाती है, भले ही उनके परिवार में कोई इस बीमारी से ग्रसित न रहा हो।
इतनी मात्रा है सही
जब बात कैफीन की मात्रा की हो रही है तो यह भी जानना जरूरी है कि इसका कितना सेवन पर्याप्त है। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि कैफीन की ज्यादा मात्रा का मतलब प्रतिदिन 480 मिलीग्राम से अधिक होता है। आनुवंशिक रूप से ज्यादा खतरे वाले लोगों की तुलना में अन्य लोगों में प्रतिदिन 321 मिलीग्राम से अधिक कैफीन का सेवन 3.9 गुना तक ग्लूकोमा का खतरा बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक आंखों के अंदर एक प्रकार के द्रव (एक्वीस ह्यूमर) के निर्माण के कारण दवाब बढ़ जाता है। सामान्य तौर पर यह द्रव ट्रैब्युलर मेशवर्क नामक एक ऊतक के माध्यम से आंखों से बाहर निकलता है। द्रव का अधिक उत्पादन या इसके आंख से बाहर निकलने की प्रक्रिया में बाधा के कारण आंखों में दबाव अधिक हो जाता है।
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