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शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र इराक चुनाव में जीत के बेहद करीब, अमेरिकी सेना को दी थी 18 साल पहले चुनौती

Renuka Sahu
12 Oct 2021 3:28 AM GMT
शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र इराक चुनाव में जीत के बेहद करीब, अमेरिकी सेना को दी थी 18 साल पहले  चुनौती
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फाइल फोटो 

इराक में आम चुनाव के नतीजों के रुझान के मुताबिक शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र के ब्लॉक को संसद की अधिकतर सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इराक में आम चुनाव के नतीजों के रुझान के मुताबिक शिया मौलवी मुक्तदा अल सद्र (Muqtada al-Sadr) के ब्लॉक को संसद की अधिकतर सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है और राजधानी बगदाद समेत देश के सभी 18 प्रांतों में उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. वहीं ईरान समर्थक गठबंधन के उम्मीदवार नतीजों में पीछे हैं. साल 2003 में अमेरिकी बलों के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले अल सद्र 329 सदस्यीय संसद की ज्यादातर सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं.

ईरान समर्थक, हादी अल अमेरी के नेतृत्व वाले फतह अलायंस ने 2018 के चुनाव में 48 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि कितनी सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा है (Shia Leader Muqtada al-Sadr). चुनाव में 41 प्रतिशत मतदान हुआ था. इराक में नागरिकों ने रविवार को संसद के लिए मतदान किया, लेकिन देश में कई युवा कार्यकताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया. वे लोग देश में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के खिलाफ 2019 के अंत में बगदाद और देश के दक्षिणी प्रांतों की सड़कों पर उतरे थे.
देश में छठी बार हो रहे चुनाव
कार्यकर्ताओं ने बदलाव और नए चुनाव की मांग की थी. इराक में 2003 में अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले में सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से देश में छठी बार चुनाव हो रहे हैं. युवा इराकी मतदान करने के इच्छुक नहीं दिखाई दिए. कई युवाओं का कहना है कि चुनाव के बाद भी उन्हीं पुराने चेहरे और दलों की वापसी होगी, जो इराक में दशकों से भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन करते आए हैं (Iraq Elections 2021 Results). इस बार के चुनाव में 329 सीटों पर कुल 3,449 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं.
विदेशी हस्तक्षेप का किया विरोध
अल सद्र को लोगों का पसंदीदा धार्मिक नेता माना जाता है, जो अमेरिकी आक्रमण के बाद से इराकी राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं और किंगमेकर बने हुए हैं (Iraq Elections Parties). उन्होंने इराक में सभी तरह के विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया है, चाहे अमेरिका का हस्तक्षेप हो, जिसके खिलाफ 2003 के बाद सशस्त्र विद्रोह लड़ा था. या फिर पड़ोसी ईरान का हस्तक्षेप, जिसकी उन्होंने इराकी राजनीति में करीबी भागीदारी के लिए आलोचना की है.


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