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सऊदी अरब (Saudi Arabia) की महिलाएं अब इनमें शामिल हो सकेंगी.
रियाद: सऊदी अरब (Saudi Arabia) की महिलाएं अब सेना (Armed Forces) में शामिल हो सकेंगी. अपनी कट्टरवादी छवि बदलने की कोशिशों में लगी सरकार ने ऐलान किया है कि महिलाएं सेना के तीनों अंगों यानी कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में शामिल हो सकेंगी. रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने एक बयान में कहा कि महिलाओं को अब सेना का हिस्सा बनने की आजादी है. वह विभिन्न पदों के लिए आवेदन कर सकती हैं. बता दें कि पिछले कुछ वक्त में सऊदी सरकार ने अपनी कट्टर छवि बदलने के लिए कई कदम उठाए हैं.
इन Post पर होगी भर्ती
सऊदी अरब (Saudi Arabia) के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, महिलाएं सैनिक, लांस नायक, नायक, सार्जेंट और स्टाफ सार्जेंट के पद के लिए आवेदन कर सकती हैं. माना जा रहा है कि सऊदी अरब ने यह कदम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Crown Prince Mohammed bin Salman) के विजन 2030 के तहत उठाया गया है. क्राउन प्रिंस महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ाने के लिए सुधारों को अंजाम दे रहे हैं.
पूरी करनी होंगी कुछ शर्तें
अरब न्यूज के अनुसार, सेना में शामिल होने के लिए महिलाओं को आयु और लम्बाई संबंधी मानदंडों को पूरा करना होगा. ऐसी महिलाएं ही आवेदन कर सकेंगी, जिन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की है. विदेशी पुरुषों से शादी करने वाली महिलाओं को सेना में शामिल नहीं किया जाएगा. महिलाओं को एडमिशन प्रक्रिया को पास करना होगा. यदि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड रहा है, तो उनका आवेदन रद्द कर दिया जाएगा.
Hathloul को मिली थी सजा
सऊदी अरब सरकार ने सेना में महिलाओं की भर्ती की इस योजना की सबसे पहले घोषणा साल 2019 में की थी. इससे एक साल पहले यानी 2018 में सरकार ने महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दिया था. हालांकि, ये बात अलग है कि इस अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने वालीं एक्टिविस्ट लुजैन अल-हथलौल (Loujain Al-Hathloul) को छह साल की सजा सुनाई गई थी.
Driving को लेकर खोला था मोर्चा
लुजैन अल हथलौल को हाल ही में रिहा किया गया है. उनकी रिहाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी दबाव बनाया गया था, जिसके आगे झुकते ही सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया. 31 साल की लुजैन ने सऊदी अरब में महिलाओं की ड्राइविंग (Driving) पर लगी रोक हटाने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसकी वजह से वह सरकार के निशाने पर आ गई थीं. लुजैन ने केस चलने से पहले डिटेंशन में और फिर सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में 1001 दिन बिताए थे. उनके खिलाफ बदलाव के लिए आंदोलन करने, अशांति फैलाने के लिए इंटरनेट का सहारा लेने और विदेशी एजेंडा चलाने जैसे आरोपों के तहत मुकदमा चलाया गया था.
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