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राष्ट्रपति पुतिन को समझना आसान नहीं, बड़े सलीके से रूस को फिर से दुनिया के नक्शे पर किया खड़ा

Kunti Dhruw
6 Nov 2020 2:26 PM GMT
राष्ट्रपति पुतिन को समझना आसान नहीं, बड़े सलीके से रूस को फिर से दुनिया के नक्शे पर किया खड़ा
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90 के दशक में जब रूस अपनी दुश्वारियों से जूझ रहा था,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : 90 के दशक में जब रूस अपनी दुश्वारियों से जूझ रहा था, तब 31 दिसंबर 1999 को बड़े ही कठिन समय में तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के इस्तीफा देने के बाद व्लादिमीर पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे। रूसी मामलों पर अच्छी पकड़ रखने वाले अनिल शर्मा का कहना है कि 90 के दशक में रूस की स्थिति बहुत खराब थी। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राष्ट्रपति पुतिन ने ही अपने देश को फिर से दुनिया के नक्शे पर सशक्त रूस बनाया। अनिल शर्मा कहते हैं कि ब्लादिमीर पुतिन को समझना बहुत आसान नहीं है। वह आगे क्या निर्णय लेंगे, अभी भी केवल पुतिन ही जानते होंगे।

क्या राष्ट्रपति पुतिन छोड़ देंगे पद?

विदेश मामले को जानकारों को इस पर भरोसा नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि पुतिन के बारे में अब तक बहुत बार कई तरह के कयास लगाए गए, लेकिन वह सही नहीं निकले। जासूसी से कैरियर शुरू करने वाले पुतिन काफी रहस्य से भरे हुए हैं। निजी जिंदगी से लेकर रूस की राजनीति, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति में भी। उन्होंने बड़े सलीके से दुनिया के देशों का रूस और खुद के प्रति विश्वास भी बना रखा है। पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि पुतिन के कोमा में जाने या पुतिन के गंभीर स्थिति में होने की भी खबरें आ चुकी हैं। एक बार तो पुतिन के जीवित न होने की भी अफवाह उड़ी। विदेश सेवा के एक अधिकारी का कहना है कि 1991 से 2020 तक राष्ट्रपति ने बहुत लंबा समय तय किया है। 1999 में रूस के डिप्टी प्रधानमंत्री बने थे। तब से प्रधानमंत्री, कार्यवाहक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, फिर राष्ट्रपति और अब आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का नियमावली में बदलाव भी वहीं करा पाए हैं। इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

पुतिन का सफरनामा

सोवियत संघ रूस की नौसेना में काम करने वाले पिता और कारखाने की मजदूर मां की तीसरी संतान राष्ट्रपति पुतिन ने एक समारोह में कहा था कि उन्हें बचपन से ही जासूसी फिल्में पसंद थी। 16 साल के पुतिन एक दिन उत्साह में सोवियत संघ रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में पहुंच गए और काम करने की इच्छा जताने लगे। बताते हैं अधिकारियों ने पुतिन को बच्चा समझकर बड़े होने के बाद आने के लिए कह दिया।

पुतिन लौट आए और लेनिनग्राद राजकीय विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास होने के बाद फिर केजीबी के दफ्तर पहुंच गए। उन्होंने केजीबी को ज्वाइन किया, 16 साल तक सेवाएं दी और लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक तक पहुंचने के बाद रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद रूस में अपने शहर सेंट पीट्सबर्ग से राजनीति के क्षेत्र में कैरियर को चुना। यहां तक पहुंचने में भी पुतिन ने लगातार अपने विरोधियों से पार पाने में सफलता पाई।

1996 में कैरियर ने लिया निर्णायक मोड़

1996 में पुतिन मेयर का चुनाव हार गए। यह उनके जीवन की दूसरी पारी का टर्निंग प्वाइंट था। चुनाव हारने के बाद मास्को बुला लिए गए। तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में जगह मिली। येल्तसिन प्रशासन में पुतिन ने केवल राष्ट्रपति का विश्वास जीतने में कामयाबी पाई, बल्कि एक अच्छे प्रोफेशनल के रूप में धाक जमाने में सफल रहे। 9 अगस्त 1999 को रूस में तीन उप प्रधानमंत्री बने। इनमें पुतिन भी एक थे। लेकिन सबसे प्रभावी वही रहे। उसी दिन वह तत्कालीन राष्ट्रपति येल्तसिन द्वारा रूस के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए।

इसके बाद 1999 में राष्ट्रपति येल्तसिन द्वारा कार्यकाल समाप्त होने के तीन महीने पहले अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा देने के बाद पुतिन रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए। पद संभालने के बाद पुतिन ने पहला आदेश निवर्तमान राष्ट्रपति और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई न करने का दिया। बोरिस येल्तसिन के इस्तीफा देने के तीन महीने बाद रूस में चुनाव हुआ और पुतिन देश के राष्ट्रपति चुन लिए गए। 2000 में राष्ट्रपति बनने वाले व्लादिमीर पुतिन की कार्य क्षमता, प्रतिबद्धता तथा प्रशासनिक कौशल के बल पर अभी तक रूस चल रहा है।

सोवियत संघ के पतन के बाद लगातार चढ़ाव वाले रूस के इकलौते राष्ट्रपति

पुतिन रूस के ऐसे इकलौते राष्ट्रपति हैं जिन्होंने लगातार चढ़ाव वाला इतना बड़ा दौर देखा है। वह 2008 में प्रधानमंत्री रहे देमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनाकर खुद प्रधानमंत्री बन गए। क्योंकि रूस के संविधान के अनुसार दो बार के लगातार टर्म के बाद तीसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ा जा सकता था। 2012 में देमित्री मेदवेदेव फिर प्रधानमंत्री बन गए और पुतिन राष्ट्रपति चुने गए। इससे पहले 2011 में रूस ने अपने संविधान में संशोधन किया और राष्ट्रपति के कार्यकाल को चार वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष किया गया। 2018 में फिर चुनाव हुआ, पुतिन फिर राष्ट्रपति चुन लिए गए। उनका कार्यकाल 2024 तक है।

2000-2008 में रूस को खड़ा किया

2000-2008 के दौरान पुतिन ने टूट रहे रूस को खड़ा किया। देश ने आठ साल तक लगातार आर्थिक वृद्धि की। सकल उत्पादन छह गुणा तक बढ़ा। क्रय शक्ति में 72 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की। रोजगार में काफी वृद्धि हुई और रूस की अर्थव्यवस्था में 2.8 गुणा तक समृद्धि आई। चेचेन्या हो या अन्य विद्रोही रूस ने पुतिन के नेतृत्व में सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 2012 से अब तक पुतिन लगातार रूस को सभी क्षेत्रों में आगे ले जाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ रूस के बाद खोई चमक वापस दिलाने में लगे हैं।

सीरिया में अमेरिका और समेत अन्य देशों के प्रयास को असफल करके उन्होंने रूस की मजबूत दावेदारी बढ़ाई है। चीन, सीरिया, ईरान, अफगानिस्तान, मुस्लिम मिलीशिया में रूस का प्रभुत्व बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। रूस के आस-पास नाटो देशों, अमेरिका और अन्य विपरीत ध्रुवी देशों के दखल को रोकने में प्रयत्नशील हैं। अमेरिका की दुनिया में दादागिरी को रोकने के लिए लगातार रूस का प्रभुत्व बढ़ा रहे हैं।

बड़े संगीन आरोप भी लगे

अपने विरोधियों पर जहर देने के आरोप भी पुतिन पर लगे। पुतिन के बारे में कहा जाता है कि वह अपने विरोधियों, दुश्मनों को निबटाने की कला जानते हैं। जीवन में महिलाओं, गर्ल फ्रेंड से अंतरंगता के उनके किस्से बहुत हैं। जर्मनी में तैनाती के दौरान भी उन्हें कुछ महिलाओं के साथ देखा गया था। हालांकि इनमें सच कितना है, कहा नहीं जा सकता। ब्लैक बेल्ट, मार्शल आर्ट में माहिर, पूर्व खुफिया अधिकारी रहे पुतिन ने 2013 में अपनी 30 साल की शादी को तोड़कर ल्यूडमिला पुतिन को तलाक दे दिया था। इस समय जिम्नास्ट अलीना कबाएवा उनकी गर्ल फ्रेंड के तौर पर जानी जाती हैं। कहा जा रहा है कि गर्ल फ्रेंड और अपनी दो बेटियों के आग्रह पर पुतिन राष्ट्रपति का पद छोड़ सकते हैं।

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