विश्व
रूस ने दुनिया को दिखाई परमाणु हमला करने की ताकत,मिसाइलों का किया परीक्षण
Deepa Sahu
11 Dec 2020 2:42 PM GMT
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एक ओर जहां कोरोना वायरस की महामारी की वजह से दुनिया में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : एक ओर जहां कोरोना वायरस की महामारी की वजह से दुनिया में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं, सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका में सत्तापरिवर्तन होने वाला है और चीन अपना प्रभुत्व कायम करने में लगा है, रूस ने भी शक्तिप्रदर्शन कर डाला है। खास बात यह है कि रूस ने न सिर्फ सैन्य अभ्यास किया है बल्कि परमाणु हमला करने की अपनी पूरी ताकत दुनिया को दिखाई है। पनडुब्बियों, जमीन के नीचे बने अड्डों और एयरक्राफ्ट से मिसाइलों की बारिश कर डाली।
लंबी दूरी की मिसाइलों का परीक्षण
रूस ने हाल के सालों में पश्चिम के साथ बढ़ते टकराव के बीच अपने सैन्य अभ्यास तेज किए हैं। देश के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिस सैन्य शक्तिप्रदर्शन की कमान संभाली, उसके वीडियो अब शेयर किए जा रहे हैं। रूस ने परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें दागी हैं। देश के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इसमें बैरंट्स सी में परमाणु पनडुब्बी करेलिया से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट लॉन्च भी किया गया।
क्रूज मिसाइलें भी दागीं
इस दौरान कई लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें लॉन्च की गईं। यूक्रेनका और एंजेल्स एयरफील्ड से बमवर्षक विमानों Tu-160 और Tu-95 से ये मिसाइलें दागी गईं। बताया गया है कि इन्होंने सफलतापूर्वक पेमबॉय ट्रेनिंग ग्राउंड में अपने निशानों को मार गिराया। TASS के मुताबिक ये लॉन्च पुतिन की कमांड में किए गए।
अमेरिका संग गहराएगा तनाव?
गौरतलब है कि रूस ने यह अभ्यास ऐसे वक्त में किया है जब अमेरिका-रूस आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी के खत्म होने में कुछ ही महीने बाकी हैं। मॉस्को और वॉशिंगटन ने इस समझौते के विस्तार पर चर्चा की है लेकिन अभी मतभेद बरकरार हैं। New START समझौता 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालानी रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदव के बीच किया गया था।
...वैश्विक स्थिरता पर खतरा?
New START समझौते के तहत दोनों देशों को सिर्फ 1,550 परमाणु हथियार तैनात करने और 700 मिसाइलें और बमवर्षक विमान तैनात करने की इजाजत है। दोनों देशों के 1987 इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी से बाहर होने के बाद, सिर्फ New START ही ऐसा समझौता है जो दोनों देशों के बीच कायम है। एक्सपर्ट्स को चिंता है कि अगर यह भी खत्म हो गया तो न सिर्फ दोनों देशों की सेनाओं के अनियंत्रित होने का खतरा होगा बल्कि वैश्विक स्थिरता भी खतरे में आ जाएगी।
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