विश्व
कोरोना के खतरे को फाइजर और माडर्ना के टीकों ने 91 फीसद किया कम, एक डोज लेने पर भी असरदार
Deepa Sahu
7 July 2021 4:29 PM GMT
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अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और माडर्ना के कोरोना टीकों की डोज ली हैं।
वाशिंगटन, अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और माडर्ना के कोरोना टीकों की डोज ली हैं उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है। अध्ययन के अनुसार ये टीके लोगों में लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण अवधि को भी कम करते हैं।
यह अध्ययन 30 जून को 'न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है। फाइजर और माडर्ना के एमआरएनए टीकों में लोगों की कोशिकाओं के लिए सार्स-सीओवी -2 की स्पाइक प्रोटीन बनाने के वास्ते अनुवांशिक शक्ति होती हैं। स्पाइक प्रोटीन के माध्यम से ही वायरस मानव कोशिकाओं में पहुंचता है और उसे संक्रमित करता है। अध्ययन में कहा गया है, 'हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली तब स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का निर्माण करती है, और यह सीखती है कि अगर भविष्य में हम संक्रमित होते हैं तो तो कोरोना वायरस से कैसे लड़ें।'
अमेरिका के उताह विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक सारंग यून ने कहा, 'इस अध्ययन के बारे में एक अनोखी बात यह है कि इसने टीकों के दूसरे लाभों के बारे में विचार किया।' अग्रिम मोर्चे के कíमयो, चिकित्सकों और नर्सो के बीच संक्रमण के खतरे और दरों को मापने के लिए यह अध्ययन किया गया। यून ने कहा, 'ये वे लोग हैं जो दिन-प्रतिदन वायरस के संपर्क में आ रहे हैं, और टीकों ने उन्हें इस बीमारी से बचा लिया। जो लोग टीकाकरण के बावजूद दुर्भाग्य से कोविड-19 से संक्रमित हुए, वे अभी भी उन लोगों की तुलना में बेहतर थे जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है।'
अध्ययन में पाया गया कि दूसरी डोज के दो सप्ताह बाद प्रतिभागियों को 'पूरी तरह से' टीका लगाए जाने के बाद एमआरएनए कोविड-19 टीके संक्रमण के जोखिम को कम करने में 91 प्रतिशत प्रभावी थे। अध्ययन में यह भी पाया गया कि टीके की पहली डोज लिए जाने के दो सप्ताह बाद 'आंशिक' टीकाकरण से संक्रमण का जोखिम कम करने में 81 प्रतिशत प्रभावी हैं।
अध्ययन में 3,975 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। प्रतिभागियों ने 13 दिसंबर, 2020 और 10 अप्रैल, 2021 के बीच 17 सप्ताह के लिए साप्ताहिक आधार पर कोविड-19 परीक्षण के लिए नमूने दिये। प्रतिभागियों में से केवल 204 (पांच प्रतिशत) अंतत: वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाए गए और यही वायरस कोविड-19 का कारण बनता है। इनमें से 156 का टीकाकरण नहीं हुआ था, 32 के बारे में टीका लगाए जाने को लेकर अनिश्चित स्थिति थी, और 16 को पूरी तरह या आंशिक रूप से टीका लगाया गया था।
टीका लेने वालों में हल्के लक्षण
पूरी तरह से या आंशिक रूप से टीका लगाने वाले प्रतिभागियों में उन लोगों की तुलना में हल्के लक्षण थे, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था। जिन लोगों ने टीका लगवाया है और उनके इस वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में उनमें बुखार होने की आशंका 58 प्रतिशत कम हो गई और बिस्तर पर बीमार पड़े रहने के दिनों में 60 प्रतिशत की कमी आई।
टीकाकरण के दूसरों में संक्रमण फैलाने की आशंका कम होती है
अध्ययन के निष्कर्षो से यह भी पता चलता है कि पूरी तरह या आंशिक रूप से टीकाकरण कराने वाले लोग यदि कोविड-19 से संक्रमित होते हैं तो उनके दूसरों में वायरस फैलाने की आशंका कम हो सकती है।
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