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पाक की नापाक हरकत, गुलाम कश्मीर में बनाएगा विशेष आर्थिक जोन

Gulabi
27 Jan 2021 1:23 PM GMT
पाक की नापाक हरकत, गुलाम कश्मीर में बनाएगा विशेष आर्थिक जोन
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भारत के बार बार मना करने के बावजूद पाकिस्‍तान उकसावे वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के बार बार मना करने के बावजूद पाकिस्‍तान उकसावे वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब वह पाकिस्तान गिलगिट बाल्टिस्तान (गुलाम कश्मीर) क्षेत्र में विशेष आर्थिक जोन का निर्माण करने जा रहा है। पाकिस्तान के कश्मीर मामले और गिलगिट-बाल्टिस्तान के मंत्री अली अमीन गांदापुर ने कहा है कि संघीय सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारीडोर (सीपीइसी) योजना के तहत विशेष आर्थिक जोन (एसइजेड) के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। इसके बाद अब यहां पर विकास कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।

समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक अली अमीन गांदापुर ने बताया कि संघीय और प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में कई योजनाएं ला रही है। इससे पहले पाकिस्‍तान ने गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव कराए थे जिसमें इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को 33 में से 22 सीटें हासिल हुई थीं। स्‍थानीय लोगों और गिलगिट बाल्टिस्तान के नेताओं ने इस चुनाव का विरोध भी किया था। गुलाम कश्मीर के नेता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा था कि पाकिस्‍तान सरकार ने चुनाव के नाम पर गिलगिट-बाल्टिस्तान में सत्ता का खुला तांडव किया।
बीते दिनों भारत ने इमरान खान की सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि पाकिस्तान उन इलाकों से बाहर निकल जाए जिन पर उसने अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो-टूक कहा था कि गुलाम कश्मीर भारत का अभिन्‍न हिस्‍सा है और भविष्‍य में भी रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान सरकार का गुलाम कश्‍मीर के इलाकों पर कोई अधिकार नहीं है। भारत अपने किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति बदलने की पाकिस्तानी सरकार की कोशिशों का विरोध करता है।
बीते दिनों समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान और उसकी सेना के साथ ही अब वन बेल्ट-वन रोड योजना की आड़ में चीन भी अत्याचार कर रहा है। गिलगिट-बाल्टिस्तान के निर्वासित प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा था कि स्थानीय निवासियों के साथ गुलामों की तरह व्यवहार किया जा रहा है। विरोध करने वाले मानवाधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को 40, 60 और 90 सालों तक के लिए जेल में डाला जा रहा है। गिलगिट-बाल्टिस्तान की महिलाओं के साथ यौन अत्याचार चरम पर पहुंच गया है।


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