काराची, पाकिस्तान में रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों को हर दिन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। नाबालिग हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे है।
ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, जहां 14 वर्षीय सोहना शर्मा नाम की एक किशोर हिंदू लड़की का कथित अपहरण किया गया और फिर जबरिया उसका धर्म बदल दिया। काजी अहमद द्वारा जबरन पीड़िता का अपहरण कर उसकी जबरन मुस्लिम लड़के से शादी भी कराई। पीड़िता के निकाहनामा (विवाह प्रमाण पत्र) भी तैयार किया गया, जो यह साबित करता है कि पीड़िता का विवाह उसकी अपनी पसंद के व्यक्ति से कराई गई है।
इस मामले को लेकर सिंध विधानसभा में गरमागरम बहस हुई। स्पीकर आगा सिराज दुर्रानी के नेतृत्व में विधानसभा सत्र दो घंटे की देरी से शुरू हुआ।
प्रांतीय मंत्री मुकेश कुमार चावला ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार कानूनों को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने लोगों के अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से चुनने के मौलिक अधिकार पर जोर देते हुए कहा कि किसी को भी दबाव में धर्मांतरण के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पीपीपी एमपीए के लाल चंद और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सदस्य ने कथित अपहरण पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगया है कि अल्पसंख्यक आबादी की आवाज को सबसे मामूली मुद्दों पर भी चुप कराया जा रहा है।
ह्यूमन राइट्स विदाउट फ्रंटियर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक स्थिति के साथ-साथ जबरन विवाह और धर्मांतरण जैसे बड़े मुद्दों से भी जूझ रहा है। पाकिस्तान में क्रिश्चियन सॉलिडैरिटी वर्ल्डवाइड (CSW) के स्थानीय भागीदारों में से एक, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2021 और 2022 के बीच 202 घटनाएं दर्ज की गईं और उनका दस्तावेजीकरण किया गया। इनमें से लगभग सभी मामले सिंध और पंजाब प्रांतों से आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 202 मामलों में 120 हिंदू महिलाएं और लड़कियां, 80 ईसाई और 2 सिख शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि निम्न जाति के हिंदू समुदायों की लड़कियां सबसे अधिक खतरे में हैं। इन आंकड़ों में, केवल 20 की आयु 18 वर्ष से अधिक होने की पुष्टि की गई और 133 महिलाओं की आयु 18 वर्ष से कम थी।