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चीन को गिलगिट-बाल्टिस्तान सौंपने की तैयारी में पाकिस्तान, कर्ज चुकाने का निकाला ये रास्ता

Renuka Sahu
23 Jun 2022 1:48 AM GMT
Pakistan in preparation for handing over Gilgit-Baltistan to China, found this way to repay the debt
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फाइल फोटो 

चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान हर दिन आर्थिक बदहाली के दलदल में फंसता जा रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) हर दिन आर्थिक बदहाली के दलदल में फंसता जा रहा है. इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर (PoK) के अवैध कब्जे वाला गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan)इलाका चीन को सौंपने की तैयारी में है. ऐसा करने से पाकिस्तान को चीन का लोन चुका देने से कुछ राहत तो मिल सकती है. न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट में पाकिस्तान के प्लान के बारे में जानकारी दी गई है. अगर ऐसा होता है तो भारत के तनाव गंभीर स्थिती में पहुंच सकता है.

हालांकि, अमेरिका इस हरकत से नाखुश हो सकता है. ऐसे में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली मदद पर भी मुश्किलें आ सकती हैं. चीन, जो दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने के मौके ढूंढ रहा है. उसके लिए यह एक बहुत बड़ा मौका हो सकता है. क्योंकि, गिलगिट-बाल्टिस्तान से होकर ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) गुजरता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक- गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका आने वाले समय में टकराव के नए स्थान के रूप में उभर सकता है. यह इलाका हथियाना चीन के लिए इतना भी यह आसान नहीं होगा. अतंरराष्ट्रीय विरोध के साथ-साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान में रहने वाले लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं. पहले से ही CPEC को लेकर वहां के लोग नाराज चल रहे हैं. गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में सरकार ने पहले से ही लोकल प्रशासन को कम ताकतें दे रखी हैं.
गिलगिट-बाल्टिस्तान में लोग रोजगार, बिजली, शिक्षा जैसे जरूरी सेवाएं न मिल पाने की वजह से परेशान हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान में कुल 9% आत्महत्याएं इसी इलाके में होती हैं.
वहीं, दूसरी ओर पिछले साल के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका इस स्थिति में नहीं है कि वह चीन को गिलगिट-बाल्टिस्तान का कब्जा करने दे. अमेरिकी नेता बॉब लान्सिया के मुताबिक- अगर गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका भारत में होता या एक स्वतंत्र देश होता तो अमेरिका चीन को करारा जवाब देने में सक्षम होता. अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में हथियार पहुंचाने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहती.
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