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1971 नरसंहार पर लेमकिन इंस्टीट्यूट के बयान को झुठलाने में जुटा पाक, जानें क्या है मामला

Renuka Sahu
19 Feb 2022 12:55 AM GMT
1971 नरसंहार पर लेमकिन इंस्टीट्यूट के बयान को झुठलाने में जुटा पाक, जानें क्या है मामला
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फाइल फोटो 

1971 में हुए नरसंहार को भयावह बताने वाले अमेरिका की लेमकिन इंस्टीट्यूट फार जिनोसाइड प्रिवेंशन के बयान को गलत बताने का प्रयास कर रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 1971 में हुए नरसंहार को भयावह बताने वाले अमेरिका की लेमकिन इंस्टीट्यूट फार जिनोसाइड प्रिवेंशन (LIGP) के बयान को गलत बताने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तानी सेना ने तीन मिलियन बंगालियों को मार डाला था और करीब 4 लाख बंगाली महिलाओं व लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया।

पाकिस्तानी सेना ने 25 मार्च, 1971 की रात को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के नागरिकों पर लगातार दमन की कार्रवाई शुरू की थी। अकेले ढाका में हजारों लोगों को गोली मार दी गई, उन पर बमबारी की गई और जला दिया गया। ढाका अब बांग्लादेश की राजधानी है। बता दें कि मानव क्रूरता के स्याह इतिहास में पूर्वी पाकिस्तान का नरसंहार शायद बोस्निया और रवांडा के नरसंहार की तुलना में ज्यादा भयावह है।
1971 में यह जंग बांग्लादेश लिबरेशन वार के तौर पर शुरू हुआ था। उस वक्त भारत के साथ बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित हो गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी। उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए। वहीं पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग के बड़े नेता जैसे शेख मुजीर्बुर रहमान आदि को गिरफ्तार कर लिया गया। करीब 80 से एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी। 13 दिनों तक चले इस लंबे जंग के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए। भारतीय फौज ने करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था।
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