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हमजा शहबाज को पाक सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक मुख्यमंत्री पद पर रहने की दी अनुमति

Renuka Sahu
24 July 2022 12:56 AM GMT
Pak Supreme Court allowed Hamza Shahbaz to remain as Chief Minister till Monday
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फाइल फोटो 

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को फैसला सुनाया कि सोमवार को सुनवाई फिर से शुरू होने तक हमजा शहबाज पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को फैसला सुनाया कि सोमवार को सुनवाई फिर से शुरू होने तक हमजा शहबाज पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं. हालांकि, अदालत ने कहा कि इस दौरान शहबाज "राजनीतिक लाभ" के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकते. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे, शहबाज ने शनिवार को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

इससे एक दिन पहले वह मात्र तीन मतों के अंतर से पुन:निर्वाचित हुए थे. उन्हें नाटकीय ढंग से मिली इस जीत को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चौधरी परवेज इलाही ने शीर्ष अदालत का रुख किया.
प्रधान न्यायाधीश उमर अता बन्दियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर की तीन सदस्यीय पीठ ने शनिवार को इस मामले की सुनवाई की. अदालत ने कहा, "हमजा सोमवार तक मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं."
पीठ ने कहा कि वह इस दौरान संविधान के मुताबिक काम करेंगे और राजनीतिक लाभ के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं करेंगे. पंजाब के गवर्नर बलीगुर रहमान ने हमजा (47) को शपथ दिलायी थी. शपथ ग्रहण समारोह पंजाब में 'गवर्नर हाउस' में हुआ.
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए मतदान हुआ. हमजा को चुनाव में विजेता घोषित किया गया. हालांकि, उनकी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के पास 17 जुलाई को हुए अहम उपचुनावों के बाद विधानसभा में बहुमत नहीं है,
हमजा नाटकीय घटनाक्रम के बीच महज तीन मतों के अंतर से इस पद पर पुन: निर्वाचित हुए।.उपाध्यक्ष ने उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के 10 महत्वपूर्ण मतों को खारिज कर दिया था.
विधानसभा उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद माजरी ने संविधान के अनुच्छेद 63-ए का हवाला देते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) पार्टी के उम्मीदवार चौधरी परवेज इलाही के 10 मतों को खारिज कर दिया, जिसके बाद हमजा महज तीन मतों के अंतर से पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से आसीन हो सके. पीएमएल-क्यू पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का सहयोगी दल है.
पंजाब की 368 सदस्यीय विधानसभा में हमजा की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 179 वोट मिले, जबकि इलाही की पार्टी को 176 वोट मिले.
इलाही की पीएमएल-क्यू के 10 मतों को इस आधार पर नहीं गिना गया कि उन्होंने अपने पार्टी के प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन के आदेशों का उल्लंघन किया था. मजारी ने कहा कि पार्टी प्रमुख हुसैन ने पीएमएल-क्यू के सदस्यों को इलाही के बजाय हमजा को वोट देने का निर्देश दिया था.
मजारी ने कहा, ''मैंने पीएमएल-क्यू के 10 मतों को खारिज करने का फैसला दिया, क्योंकि उसके प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन ने मुझे एक पत्र लिखकर कहा था कि उनकी पार्टी के विधायकों को पीटीआई-पीएमएलक्यू उम्मीदवार के लिए वोट नहीं करना चाहिए था. मैंने फोन पर शुजात से बात की और उन्होंने अपने पत्र में इसका जिक्र होने की पुष्टि की.''
बहरहाल, पीटीआई-पीएमएलक्यू के विधायकों ने उपाध्यक्ष के फैसले का विरोध किया. यह दूसरी बार है जब हमजा ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर इलाही को हराया है. पिछली बार उन्हें 16 अप्रैल को जीत मिली थी, लेकिन उन्हें शपथ दिलाने में कई दिनों की देरी हुई थी क्योंकि तत्कालीन गवर्नर उमर सरफराज चीमा ने उन्हें शपथ दिलाने से इनकार कर दिया था. बाद में नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने लाहौर उच्च न्यायालय के निर्देशों पर 30 अप्रैल को उन्हें शपथ दिलायी थी.
पीएमएल-क्यू के 10 सदस्यों के मतों को खारिज करने के मजारी के फैसले के बाद पीटीआई ने कहा कि वह इस निर्णय को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी. इमरान खान के समर्थकों के शुक्रवार देर रात को देशभर में प्रदर्शन किए और उन्होंने मुख्यमंत्री के चुनाव को गैरकानूनी बताया.
लाहौर, पंजाब प्रांत के कुछ अन्य हिस्सों, कराची, इस्लामाबाद और पेशावर में व्यापक प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे.
इलाही ने शनिवार को उपाध्यक्ष के विवादास्पद फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली और मजारी तथा हमजा को नोटिस जारी किए हैं.
पीटीआई अध्यक्ष खान ने हमजा की जीत पर हैरानी जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय न्याय करेगा और पार्टी के जनादेश को चुराने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ''पंजाब विधानसभा में जो भी हुआ, मैं उससे स्तब्ध हूं. जब पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी मुख्यमंत्री के चुनाव के मद्देनजर लाहौर पहुंचे थे तो हम जानते थे कि वह ऐसा खेल खेलेंगे जो वह पिछले 30 साल से खेलते रहे हैं - काले धन से लोकतंत्र खरीदना, जिसमें उन्हें महारत हासिल है.''
खान ने कहा, ''जिस तरीके से बकरियां और भेड़ बेची जाती है, उसी तरीके से मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में और अब पंजाब के मुख्यमंत्री पद के चुनाव में सांसदों/विधायकों को बेचा गया.''
खान ने युवाओं समेत लोगों से देशभर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का भी अनुरोध कियाय उन्होंने कहा, ''अपना विरोध दर्ज कराएं. आपको उन्हें बताना पड़ेगा कि हम मनुष्य हैं न कि भेड़. उन्हें बताइए कि आप इन डाकुओं को जनादेश चुराने नहीं देंगे.''
उन्होंने कहा, ''मैं उच्चतम न्यायालय से आग्रह करता हूं कि आपके सामने चीजें साफ है. मैंने वर्षों से जरदारी और शरीफ परिवार के खिलाफ जिहाद किया है. जब मैं प्रधानमंत्री था तो मुझ पर उन्हें एनआरओ (क्लीन चिट) देने का दबाव था लेकिन मैंने इससे इनकार कर दिया था.''
पीटीआई के वरिष्ठ नेता असद उमर ने कहा कि सभी कि नजरें न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय पर टिकी हैं. उन्होंने कहा, ''पूरा देश प्रतीक्षा कर रहा है कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय सुनाती है. यदि विपरीत निर्णय आता है तो फिर इस देश की जनता अपना निर्णय देगी.''
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