x
फाइल फोटो
अंकारा (आईएएनएस)| तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लु ने कहा है कि स्टॉकहोम में हाल के विरोध के बाद नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए स्वीडन और फिनलैंड के साथ त्रिपक्षीय बैठक 'बेनतीजा' रही। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार कावुसोग्लू ने गुरुवार को सर्बिया के पहले उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इविका डेसिक के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में त्रिपक्षीय बैठक बेमानी है। इसे स्थगित कर दिया गया है, क्योंकि मौजूदा माहौल के इस पर भारी पड़ने की आशंका है।
तुर्की के मंत्री ने नॉर्डिक देश में हाल के विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए, जिसमें कुरान को जलाना और तुर्की द्वारा प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वकर्स पार्टी (पीकेके) के समर्थकों द्वारा प्रदर्शन शामिल हैं, कहा कि स्वीडन को फैसला करना है, यह नाटो में शामिल होना चाहता है या नहीं? इन घटनाओं का एक उद्देश्य स्वीडन को नाटो में शामिल होने से रोकना है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यह घटना एक नस्लवादी हमला है, जिसके विचार का स्वतंत्रता से कोई लेना-देना नहीं है।
स्टॉकहोम में कुरान की एक प्रति जलाने के बाद तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड के साथ फरवरी में होने वाली अपनी नाटो बोली पर एक त्रिपक्षीय बैठक स्थगित कर दी है।
स्वीडन और फिनलैंड ने मई 2022 में नाटो में शामिल होने के लिए अपने औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किए, जिस पर शुरू में नाटो के सदस्य तुर्की, ने तुर्की विरोधी कुर्द संगठनों और राजनीतिक असंतुष्टों के समर्थन का हवाला देते हुए आपत्ति जताई थी।
एक महीने बाद तुर्की, स्वीडन और फिनलैंड मैड्रिड में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन से पहले एक समझौते पर पहुंचे।
इसके तहत अंकारा, फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर अपना विरोध खत्म करने पर सहमत हो गया। इसके बदले में आतंकवाद के खिलाफ तुर्की की लड़ाई का समर्थन करने और इसके लंबित निर्वासन या आतंकवादी संदिग्धों के प्रत्यर्पण अनुरोधों को शीघ्रता से विचार करने का वचन दिया।
तुर्की की संसद ने अभी तक नॉर्डिक देशों की नाटो में शामिल होने की पुष्टि नहीं की है, यह कहते हुए कि उन्होंने अभी तक तुर्की के अनुरोध को माना नहीं है।
Next Story