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धरती पर ज्वालामुखी फटने की खबरें हम आए दिन सुनते हैं
Mars Volcanoes Latest News: धरती पर ज्वालामुखी फटने की खबरें हम आए दिन सुनते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंगल ग्रह पर भी ऐसा होता था? वैज्ञानिकों को पता चला है कि अरबिया टेरा (मंगल ग्रह का उत्तरी हिस्सा) में हजारों बार ज्वालामुखी विस्फोट और महाविस्फोट (Super Eruptions in Mars) हुए थे. यहां ऐसा 50 करोड़ साल तक होता रहा. कई विस्फोट तो इतने घातक थे कि वह हवा में धूल और जहरीली हवा छोड़ते थे, जिससे सूरज की रोशनी तक ब्लॉक हो जाती थी. इसका असर लाल ग्रह की जलवायु पर दशकों से बना हुआ है.
वैज्ञानिकों ने मंगल के उत्तरी हिस्से अरबिया टेरा क्षेत्र में खनिज संरचना का अध्ययन किया, जिससे उन्हें ऐसे हजारों विस्फोट या "महाविस्फोट" के सबूत मिले हैं, जो साबित करते हैं कि यहां अब तक के सबसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे. हवा में जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को उगलते हुए, ये विस्फोट लगभग 4 अरब साल पहले 50 करोड़ साल की अवधि तक मंगल ग्रह पर हुए थे (Mars Volcano Eruption). वैज्ञानिकों ने जुलाई 2021 में जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में इस अनुमान की जानकारी दी है.
पर्यावरण पर पड़ा विस्फोट का असर
इस अध्ययन का नेतृत्व नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के जियोलॉजिस्ट पैट्रिक व्हिले ने किया है. वह कहते हैं, 'हर एक ज्वालामुखी विस्फोट का असर पर्यावरण पर पड़ा है. ऐसा हो सकता है कि उससे निकलने वाली गैस ने वातावरण को मोटा बना दिया है और सूरज की रोशनी को यहां आने से रोक दिया हो. जिसके कारण वातावरण इतना ठंडा है (Mars Atmosphere). लाल ग्रह की जलवायु के नमूनों से ये समझने की कोशिश जाएगी कि ज्वालामुखी का प्रभाव किस तरह पड़ा है.'
कैसे किया गया एक्सपेरिमेंट?
अध्ययन के लिए ओलंपिक के स्विमिंग पूल के आकार के 40 करोड़ के बराबर पिघली चट्टान और गैस में विस्फोट किया गया. जिसके बाद हजारों मील के इलाके में राख की एक मोटी चादर बन गई. जिससे पता चला कि इतने भयानक विस्फोट के बाद उससे निकलने वाले लावे से गड्ढे बन सकते हैं, जिसे Caldera कहा जाता है. जो धरती पर भी पाए जाते हैं और दर्जनों मील तक चौड़े होते हैं. मंगल ग्रह के अरबिया टेरा पर भी इसी तरह के 7 Caldera हैं, जिससे इस बात की संभावना जताई जा रही है कि यहां ज्वालामुखी में महाविस्फोट हुए होंगे.
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