टू प्लस टू वार्ता में भारत-अमेरिका वैश्विक सहयोग की होगी समीक्षा...इन आगामी कदमों पर होगी चर्चा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अगले हफ्ते नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच होने वाली 'टू प्लस ट' मंत्रिस्तरीय वार्ता में दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच वैश्विक सहयोग की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। इसके साठ ही आगे उठाए जाने वाले कदमों का खाका भी तैयार किया जाएगा। यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड्र ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है और उससे पहले ट्रंप सरकार की यह आखिरी सबसे बड़ी राजनयिक वार्ता होगी। दो दिवसीय वार्ता में भारत और अमेरिका के शीर्ष चार कैबिनेट मंत्री हिस्सा लेंगे। इसमें दोनों देशों के संबंधों की आगामी चार साल के लिए आधारशिला रखे जाने की संभावना है, भले ही चुनाव कोई भी जीते।
वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका में द्विदलीय समर्थन है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने वाशिंगटन डीसी में फॉरेन प्रेस सेंटर द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस कॉल' के दौरान कहा कि इस टू प्लस टू वार्ता में अमेरिका और भारत के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी और आगामी कदमों का खाका तैयार किया जाएगा। इस साल वार्ता में चार बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना हैं। ये मुद्दे हैं- हिंद प्रशांत में जन स्वास्थ्य के मामले में सहयोग एवं काम समेत वैश्विक सहयोग, ऊर्जा एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग समेत आर्थिक सहयोग, लोगों के बीच आपसी संबंध और रक्षा संबंध।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका अर्थव्यवस्था और द्विपक्षीय व्यापार को पटरी पर लाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त सहयोग (यूआईडीएफसी) ने भारत में निवेश परियोजनाओं में 50 करोड़ डॉलर की सहायता मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई है और हाल में मुंबई में एक प्रबंध निदेशक को नियुक्त किया है, जो भारत और क्षेत्र में निवेश को विस्तार देने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 का टीका विकसित करने के संयुक्त प्रयास उल्लेखनीय प्रगति के साथ जारी है। छह से अधिक अमेरिकी कंपनियां और संस्थान 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' जैसे भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर टीका खोजने का प्रयास कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि वैश्विक सहयोग में उच्चस्तरीय वार्ता भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार के कारण हमारे लिए समान सोच रखने वाले भारत जैसे साझेदारों के साथ मिलकर काम करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ इस समय रक्षा संबंध बहुत मजबूत हैं।
क्वाड हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने का इच्छुक है
अमेरिका का कहना है कि भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का समूह क्वाड कोई गठबंधन नहीं है बल्कि ऐसे देशों का समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने के इच्छुक हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए लंबे समय से लंबित इस प्रस्ताव को 2017 में चारों देशों ने अमलीजामा पहनाया था। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि क्वाड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इसे गठबंधन बनाता हो। अभी वह रूप नहीं दिया गया है। इसमें शामिल देशों के बीच अभी कोई पारस्परिक दायित्व नहीं है। यह वैसा संगठन भी नहीं है जो सदस्यता का अनुरोध करता हो। उन्होंने कहा कि अक्तूबर में टोक्यो में आयोजित क्वाड मंत्रिस्तरीय वार्ता ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के बीच मजबूत संबंधों को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि यह ऐसे देशों का समूह है जो नियम आधारित व्यवस्था चाहते हैं जिसमें सभी देश संप्रभु, मजबूत और समृद्ध हों। यह वैसे देशों का समूह है जो दायित्वों से ज्यादा साझा हितों और मूल्यों को लेकर आगे बढ़ता है। यह प्रभावी बहुपक्षवाद का एक उदाहरण है।