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दुनिया की बढ़ी चिंता! कोरोना को 'जैविक हथियार' की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं आतंकी संगठन

Gulabi
2 March 2021 11:54 AM GMT
दुनिया की बढ़ी चिंता! कोरोना को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं आतंकी संगठन
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पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना का इस्तेमाल आने वाले समय में ‘जैविक हथियार के रूप में किया जा सकता है

पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना (Corona) का इस्तेमाल आने वाले समय में 'जैविक हथियार' (Biological Weapon) के रूप में किया जा सकता है. एक विशेषज्ञ ने नोविचोक जैसे रासायनिक हमलों (Chemical Attacks) के खतरे के बीच इसकी चेतावनी दी है. कोरोना दुनियाभर में अब तक 2.5 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले चुका है. ये आंकड़ा उपद्रवियों को ये समझने में मदद करेगा कि कैसे संक्रमण (Infection) के प्रकोप से दुनिया को घुटनों के बल झुकाया जा सकता है.


हथियार विशेषज्ञ हामिश डी ब्रेटन-गॉर्डन 30 सालों से दुनियाभर में रासायनिक और जैविक हमलों पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक मौत के आंकड़े को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि युद्ध और संघर्ष के तरीके बदल रहे हैं. कुछ उपद्रवी हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

आतंक संगठनों का ध्यान खींचेगा कोरोना
विशेषज्ञ ने कहा कि हालांकि कोरोना वायरस कोई जैविक हथियार नहीं है लेकिन इसे जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसा कि हम पहले भी देख चुके हैं. उन्होंने कहा कि सैलिसबरी नोविचोक हमले में दुनिया ने देखा कि रूस में एक रासायनिक हथियार कार्यक्रम चल रहा है.

इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन इससे प्रभावित हो सकते हैं कि इस तरह का युद्ध कितना प्रभावी साबित हो सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरे खतरों की तरह इसे भी आप कम कर सकते हैं. मुझे लगता है कि कोविड ने हमें बायोलॉजिकल सिक्योरिटी फ्रंट को लेकर जागरुक किया है.

CPEC के नाम पर जैविक हथियार बनाने का दावा
कोरोना के शुरुआती मामले सामने आने के बाद कई देशों ने इसे चीन का एक जैविक हथियार बताया था. हालांकि बाद में इन आरोपों के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं मिला. इसके अलावा पिछले साल आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन और पाकिस्तान मिलकर जैविक हथियार बना रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया की एक न्यूज वेबसाइट ने दावा किया था कि दोनों देश चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर जैविक हथियार विकसित कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ये हथियार पिछले 5 साल से बनाए जा रहे हैं. इन दावों में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पर भी हथियार बनाने में शामिल होने के आरोप लगाए गए थे.


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