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इम्यून सेल्स अब ज्यादा ताकत से जूझ सकेंगी

Gulabi
29 Jun 2021 12:29 PM GMT
इम्यून सेल्स अब ज्यादा ताकत से जूझ सकेंगी
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ज्यादा आक्रामक और ताकत

कोविड-19 (Covid-19) ने इंसान की सेहत संबंधी कई आयामों को खोला है. दुनिया जहां महामारियों से निपटने के तरीके खोजने पर मजबूर हुई है, तो वहीं वायरस से निपटने की भी ज्यादा तेजी से जरूरत महसूस हो रही है और इससे संबंधित शोधों में तेजी आ रही है. इसी तरह से इंसान की प्रतिरोध क्षमता (Immunity power) को बढ़ाने और उसे ज्यादा करागर बनाने पर भी काम हो रहा है. एक नए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्रतिरक्षा कोशिकाओं (Immune cells) को ज्यादा आक्रामक होने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है.


ज्यादा आक्रामक और ताकत
हमारे शरीर की ये प्रतिरक्षा कोशिकाएं ही हैं जो प्राकृतिक रूप से वायरस या बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों से लड़ती हैं. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जाना कि इन कोशिकाओं को फिर से प्रोग्राम या प्रशिक्षित किया जा सकता है जिससे वे बीमारियों से ज्यादा आक्रामकता और ताकत से लड़ सकती हैं.

मूल नियम की तलाश
लॉस एंजेलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के वैज्ञानिकों ने इस खास किस्म की कोशिकाओं की प्रणाली का मूलभूत नियम खोज निकाला है. उनका यह अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें शोधकर्ताओं ने मैक्रोफेजेस, प्रतिरक्षा तंत्र के संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाओं के अंदर आणविक स्तर की प्रमुख प्रणाली खोजी है जो यह सुनिश्चित करती है कि कोशिकाओं को कैसे और कितने अच्छे से प्रशिक्षित किया जा सकता है.
भविष्य के लिए कारगर
शोधकर्ताओं की यह पड़ताल भविष्य में प्रतिरक्षा प्रणाली को लक्ष्य विशेष के लिए रणनीतिक तौर पर तैयार करने में मददगार हो सकती है. इस अध्ययन के प्रमुख लेख और UCLA के डेविड गाफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन के संक्रामक रोगों के सहयाक क्लीनिकल प्रोफेसर क्वेन चेंग ने बताया गकि जैसे सैनिक या खिलाड़ी को प्रशिक्षित किया गया जा सकता है, प्रतिरक्षा कोशिकाओं को भी पिछले अनुभवों के आधार पर संक्रमण से बेहतर तरह से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है.

इस अध्ययन से मिली प्ररेणा
चेंग ने कहा कि शोधकर्ताओं ने पिछले पहले देखा था कि प्रतिरक्षा प्रशिक्षण के लिए कुछ अनुभव दूसरों से बेहतर हो सकते हैं. इस चौंकाने वाली खोजने शोधकर्ताओं को इस प्रक्रिया को संचालित करने वाले नियम को अच्छे से समझने के लिए प्रेरित किया. क्या प्रतिरोधी प्रशिक्षण हो सकता है या नहीं इस पर निर्भर करता है कि डीएनए कोशिका से कैसे बंधा है. जैसे, इंसानी कोशिकाओं में केंद्रक में छह फुट से ज्यादा के डीएनए फिट होना चाहिए, जो आंखों ने दिखाई नहीं देता. इसके लिए डीएनए क्रोमोजोम में मजबूती से लिपट जाता है.

डीएनए के खुले हुए जीन्स
डीएनए के कुछ चुने हुई हिस्से ही खुले होते हैं और इनके जीन्स ही संक्रमण पर प्रतिक्रिया कर लड़ सकते हैं. मैक्रोफेज मं उत्तेजन लाकर पहले से संकुचित डीएनए इलाके को खोला जा सकता है. जिससे नई जीन्स ज्यादा मात्रा और उग्रता से प्रतिक्रिया करेंगी. शोधकर्ताओं के अध्ययन से पता चला कि माइक्रोफेज में प्रमुख प्रतिरक्षा संकेतक अणु जिन्हें एनएफबी कहते हैं, की सटीक गतिकी, से ही तय होता है कि क्या जीन्स का खुलना और ज्यादा सामना करने की स्थिति बनती है या नहीं.


शोधकर्ताओं ने पाया कि एनएफबी की गतिविधि सटीक तरह के बाह्यकोशिकीय उत्तेजन से तय होते हैं. चेंग ने बताया कि उनके अध्ययन से यह भी पता चला कि कोशिकाएं कुछ विशेष उत्तेजन से ही प्रतिरक्षा कोशिकाओं को प्रशिक्षित कर ज्यादा आक्रामक बनाया जा सकता है. यह सटीकता बहुत अहम है क्योंकि गलत प्रशिक्षण बहुत ज्यादा जलन या ऑटोइनम्यूनिटी पैदा कर सकता है जिससे बहुत नकुसान हो सकता है.
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