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तनाव कम करने वाले कुछ स्नोतों को नियंत्रित कर पाना असंभव हो सकता है, लेकिन इसका समाधान निकाला जा सकता है।
अगर आप ज्यादा तनाव लेते हैं तो सावधान हो जाइए। हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि ज्यादा तनाव लेने वाले लोग जल्द बूढ़े हो जाते हैं। हाल ही में प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंस (पीएनएएस) में प्रकाशित एक अध्ययन में लोगों की उम्र से संबंधित स्वास्थ्य असामानताओं के बारे में बताया गया है। इसमें कोरोना काल को भी जोड़ा गया है।
इस शोध के प्रमुख लेखक और यूएससी लियोनार्ड डेविस स्कूल आफ गेरोन्टीलाजी में पोस्टडाक्टर स्कालर डा. एरिक क्लोपैक के मुताबिक, जैसे-जैसे बुजुर्ग लोगों की आबादी दुनिया में बढ़ रही है, वैसे-वैसे उम्र से संबंधित स्वास्थ्य में असमानताएं को समझना आवश्यक है। प्रतिरक्षा प्रणाली में उम्र से संबंधित परिवर्तन स्वास्थ्य में होने वाली गिरावट में अहम भूमिका निभाते हैं। यह शोध त्वरित प्रतिरक्षा उम्र बढ़ने में शामिल तंत्र को स्पष्ट करने में मदद करता है। उन्होंने आगे कहा, लोगों की उम्र बढ़ने के साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली में स्वाभाविक रूप से एक गिरावट शुरू होती है। इस स्थिति को इम्यूनोसेनेसेंस कहते हैं। वयस्क होने के साथ-साथ एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा क्षमता भी कमजोर होती है और इसमें सफेद रक्त कोशिकाएं शामिल होती हैं।
इन बीमारियों का बढ़ता है जोखिम : डा. एरिक के मुताबिक, उम्र बढ़ने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से इंसान कई बीमारियों का आसानी से शिकार बन सकता है। ऐसे में व्यक्ति में ना सिर्फ कैंसर, बल्कि दिल की बीमारियां और न्यूमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, उस व्यक्ति पर टीकों का असर भी कम होता है। उन्होंने कहा कि लेकिन समान उम्र के व्यस्क लोगों के स्वास्थ्य में बढ़ा अंतर भी देखने को मिला है और आखिर इसका क्या कारण है? यूएससी के शोधकर्ताओं ने यह देखने का फैसला किया कि क्या खराब स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट का तनाव से कोई संबंध है?
5,744 वयस्कों के नमूनों का किया विश्लेषण : शोधकर्ताओं ने मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य और सेवानिवृत अध्ययन द्वारा आर्थिक, स्वास्थ्य, वैवाहिक, पारिवारिक स्थिति और पुराने अमेरिकियों के सार्वजनिक और निजी समर्थन प्रणालियों के एक राष्ट्रीय अध्ययन से एकत्र डाटा पर काम किया। इसके बाद, सामाजिक तनाव के विभिन्न रूपों के जोखिम की गणना करने के लिए शोधकर्ताओं ने 50 साल से अधिक की उम्र के 5,744 वयस्क व्यक्तियों के नमूनों का विश्लेषण किया। इन प्रतिभागियों ने तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं, पुराने तनाव, रोजमर्रा के भेदभाव और समाजिक तनाव का आकलन करने के लिए तैयार की गई एक प्रश्नावली के उत्तर दिए। साथ ही, प्रतिभागियों के खून के नमूनों का विश्लेषण फ्लो साइटोमेट्री के माध्यम से किया गया। एक तकनीक लैब में रक्त कोशिकाओं की गणना और वर्गीकरण किया जाता है, जो एक लेजर के सामने बेहद पतली जगह से गुजरती हैं।
इस वजह से प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उत्पादन होता है कम : टी-कोशिकाएं प्रतिरक्षा के एक महत्वपूर्ण घटक थाइमस नामक ग्रंथि में परिपक्य होती हैं, जो दिल के ठीक सामने ऊपर की ओर होती हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उनके थाइमस में ऊतक सिकुड़ते हैं और वसायुक्त ऊतक उनकी जगह ले लेते हैं। इससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उत्पादन कम होता है। डा. क्लोपैक के मुताबिक, इसका मतलब यह था कि जिन लोगों में आहार और व्यायाम की खराब आदतें है, लेकिन वे तनाव ज्यादा लेते हैं, इससे उनको बुढ़ापा तेजी से आता है।
यह आया सामने : जैसा कि अपेक्षित था, उच्च तनाव स्कोर वाले लोगों में पुराने प्रतीत होने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली थी, और ताजा रोग से लड़ने के लिए इनकी संख्या कम थी। वहीं, सफेद रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत काफी ज्यादा था। शोधकताओं ने कहा कि तनाव कम करने वाले कुछ स्नोतों को नियंत्रित कर पाना असंभव हो सकता है, लेकिन इसका समाधान निकाला जा सकता है।
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