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महिलाओं के स्कर्ट के नीचे की तस्वीर ली तो जाना पड़ेगा जेल, इस देश में बना यह कठोर कानून

Renuka Sahu
1 Oct 2021 4:25 AM GMT
महिलाओं के स्कर्ट के नीचे की तस्वीर ली तो जाना पड़ेगा जेल, इस देश में बना यह कठोर कानून
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फाइल फोटो 

हांगकांग में अब बिना सहमति के अगर किसी ने महिलाओं के स्कर्ट से नीचे की तस्वीर ली या उसे शेयर किया तो उसे जेल जाना होगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हांगकांग में अब बिना सहमति के अगर किसी ने महिलाओं के स्कर्ट से नीचे की तस्वीर ली या उसे शेयर किया तो उसे जेल जाना होगा। गुरुवार को हांगकांग ने एक कानून पास कर अपस्कर्टिंग यानी बिना सहमति के महिलाओं के स्कर्ट के नीचे की तस्वीर या वीडियो बनाने या शेयर करने को अपराध बना दिया है। इंटरनेट पर ऐसी तस्वीरों और वीडियो बहुतायत में शेयर किए जाते हैं जो बाजारों में, दुकानों में या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर गुप चुप तरीके से बनाई जाती हैं।

हांगकांग की लैजिसलेटिव काउंसिल ने नए कानून के जरिए इस तरह की गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। चार गतिविधियां होंगी अपराध नए कानून में चार गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में डाला गया है जिसके बाद वॉयरिजम में कुल अपराधों की संख्या छह हो गई है। कानून में सिर्फ सार्जवनिक ही नहीं, निजी स्थानों पर भी इस तरह की तस्वीरें लेने या रिकॉर्डिंग बनाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। तस्वीरें लेने वाले और शेयर करने वाले दोनों को ही अपराधी माना जाएगा। नए नियमों में वॉयरिजम यानी छिपकर किसी की अंतरंग पलों को देखना या रिकॉर्ड करना, ऐसी गतिविधि से मिली तस्वीरों या वीडियो शेयर करना, और यौनेच्छा से प्रेरित होकर किसी व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट्स की तस्वीरें अथवा वीडियो लेना शामिल है।
यदि कोई व्यक्ति दो या उससे अधिक अपराधों में दोषी पाया जाता है तो उसका नाम सेक्स ऑफेंडर्स रजिस्टर में दर्ज किया जा सकता है। डीप फेक भी अपराध कानून में एक और प्रावधान रखा गया है जिसके तहत डीप फेक यानी आर्टफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए पॉर्न वीडियो या फोटो बनाने को भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है और उसे इंटरनेट से हटाया जा सकता है। डीप फेक में जिन लोगों के चेहरे इस्तेमाल हुए हैं, वे न सिर्फ उन्हें बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं बल्कि ऐसी तस्वीरों को शेयर करने या प्रकाशित करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि फेसबुक या इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट्स को भी अदालत में घसीटा जा सकेगा. कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नए कानून का स्वागत किया है।
एसोसिएशन कनसर्निंग सेक्शुअल वायलेंस अगेंस्ट विमिन नामक संस्था की लिंडा एस वाई वॉन्ग ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि ये नए अपराध आम लोगों और कानून व्यवस्था लागू करवाने वाली एजेंसियों को समझने में मदद करेंगे कि फोटो या वीडियो आधारित यौन हिंसा ऐसा नुकसान पहुंचाती है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती"। अपस्कर्टिंग को लेकर दुनियाभर में चिंता और जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड जैसे देश इसे पहले ही अपराध की श्रेणी में ला चुके हैं।


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