जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पाकिस्तान में अगले वित्त वर्ष के लिए पेश हुआ आम बजट दरअसल देश की घोर आर्थिक बदहाली को सामने लाने वाला दस्तावेज बन गया है। पाकिस्तान किस मुसीबत में फंस गया है, इसके आंकड़े इस बजट से सामने आए हैं। अब खुद पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार किया है कि देश स्टैगफ्लेशन (आर्थिक वृद्धि दर से अधिक मुद्रास्फीति दर) की गहरी खाई में गिर चुका है। चालू वित्त वर्ष में जहां आर्थिक वृद्धि दर महज 0.3 प्रतिशत रही, वहीं देश में मुद्रास्फीति की दर औसतन 38 प्रतिशत रही।आलोचकों ने इस बात पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है कि शहबाज शरीफ सरकार ने आर्थिक बदहाली के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय इसका दोष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर डालने की कोशिश की है। वित्त मंत्री इशहाक डार ने कहा कि मंजूर हो चुके ऋण जारी करने को लेकर आईएमएफ ने जो टाल-मटोल की, उसका पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर बहुत खराब प्रभाव पड़ा। डार ने कहा कि आईएमएफ का कर्ज ना मिलने की स्थिति में पाकिस्तान सरकार के पास एक ‘प्लान-बी’ (वैकल्पिक योजना) है, लेकिन अपने लंबे बजट भाषण के दौरान उन्होंने इसका कोई ब्योरा नहीं दिया। इसको लेकर भी कई हलकों से उनकी आलोचना हुई है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अर्थशास्त्रियों में मौजूद इस राय का जिक्र किया है कि (पाकिस्तानी) रुपये के अवमूल्यन अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उधर सरकार ने आईएमएफ से कर्ज पाने की कोशिश में आम उपभोग की चीजों के दाम तेजी से बढ़ाए। लेकिन आखिर में मौजूदा सरकार ना तो आईएमएफ से ऋण हासिल कर पाई और ना ही अर्थव्यवस्था को विनाश से बचा पाई।
बजट से सामने आई सूचना के मुताबिक आयात और उपभोग पर लगी भारी रोक के कारण आर्थिक वृद्धि दर में बड़ी गिरावट आई। विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी। तब देश में इमरान खान की सरकार थी। इसलिए अब इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने दावा किया है कि उसकी सरकार का आर्थिक प्रबंधन दुरुस्त था। जबकि मौजूदा सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है। इसकी जिम्मेदारी सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) में शामिल सभी 13 पार्टियों पर आती है।
आर्थिक बदहाली के बावजूद सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का एलान किया है। यह भी आलोचना का विषय बना है।