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कोरोनारोधी दवाएं और एंटीबाडी थेरेपी ओमिक्रोन पर कितनी है कारगर, वैज्ञानिकों ने किया अध्‍ययन, आए चौंकाने वाले नतीजे

Renuka Sahu
28 Jan 2022 12:57 AM GMT
कोरोनारोधी दवाएं और एंटीबाडी थेरेपी ओमिक्रोन पर कितनी है कारगर, वैज्ञानिकों ने किया अध्‍ययन, आए चौंकाने वाले नतीजे
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फाइल फोटो 

कोरोना के इलाज में प्रयोग की जा रही मौजूदा दवाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ बहुत प्रभावी हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना के इलाज में प्रयोग की जा रही मौजूदा दवाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ बहुत प्रभावी हैं। वहीं अस्पतालों में की जा रही एंटीबाडी थेरेपी ओमिक्रोन के खिलाफ काफी कम प्रभावी हैं। यह निष्कर्ष लैब में किए गए अध्ययन से सामने आया है। यह जानकारी देते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि लैब के परीक्षणों से यह भी पता चला है कि कुछ एंटीबाडी ने वास्तविक डोज पर ओमिक्रोन को बेअसर करने की अपनी क्षमता पूरी तरह से खो दी।

ओमिक्रोन के इलाज के लिए जवाबी उपाय
अमेरिका में यूनिवर्सिटी आफ विस्कान्सिन-मैडिसन के अध्ययन के प्रमुख लेखक योशीहिरो कावाओका ने कहा कि अहम बात यह है कि हमारे पास ओमिक्रोन के इलाज के लिए जवाबी उपाय हैं। यह एक अच्छी खबर है। कवाका ने कहा कि यह सब अभी लैब में किए गए अध्ययनों में ही देखा गया है। यह आम लोगों के जीवन में भी क्या यह संभव हो पाएगा अभी हम नहीं जानते।
एंटीबाडी उपचार ओमिक्रोन के खिलाफ कम प्रभावी
बुधवार को न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्ष, अन्य अध्ययनों की पुष्टि करते हैं जो दिखाते हैं कि अधिकांश उपलब्ध एंटीबाडी उपचार ओमिक्रोन के खिलाफ कम प्रभावी हैं। चिकित्सकीय रूप से उपलब्ध गोलियों और एंटीबाडी का डिजाइन और परीक्षण शोधकर्ताओं द्वारा ओमिक्रोन की पहचान करने से पहले किया गया था, जो वायरस के पुराने अन्य वैरिएंट से काफी अलग है।
एंटीवायरल थेरेपी का परीक्षण
ओमिक्रोन की जब पहचान हुई तो वैज्ञानिकों को डर था कि वायरल जीनोम में उत्परिवर्तन के कारण ये अंतर, वायरस के मूल वैरिएंट के इलाज के लिए तैयार की गई दवाओं की प्रभावशीलता को कम कर सकता है। गैर-मानव प्राइमेट कोशिकाओं का उपयोग करते हुए प्रयोगशाला प्रयोगों में जापान के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान में कावाओका और उनके सहयोगियों ने कोरोना वायरस और इसके प्रमुख वैरिएंट के मूल स्ट्रेन के खिलाफ एंटीबाडी और एंटीवायरल थेरेपी का परीक्षण किया।
वायरल मशीनरी पर दवाएं कारगर
उन्होंने पाया कि अमेरिकी दवा कंपनी मर्क की गोली मोलनुपिराविर और इंट्रावेनस (शिराओं के द्वारा) दवा रेमेडिसविर, ओमिक्रोन के खिलाफ उतनी ही प्रभावी थीं जितनी कि वे पूर्व के वायरल स्ट्रेन के खिलाफ थीं। फाइजर की पैक्सलोविड गोली (निगलने वाली) का परीक्षण करने के बजाय टीम ने कंपनी द्वारा संबंधित दवा का परीक्षण किया जिसे इंट्रावेनस तरीके से दिया जाता है। ये दोनों दवाएं वायरल मशीनरी के एक ही हिस्से को बाधित करती हैं।
एंटीबाडी उपचार कम प्रभावी
शोधकर्ताओं ने पाया कि इंट्रावेनस तरीके से दी जाने वाली दवा ने ओमिक्रोन के खिलाफ अपनी प्रभावशीलता बरकरार रखी। इन दवाओं के संस्करणों के और क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं। वहीं शोधकर्ताओं ने परीक्षण में देखा कि चार एंटीबाडी उपचार, ओमिक्रोन के खिलाफ वायरस के पहले के स्ट्रेन की तुलना में कम प्रभावी रहे।
ज्‍यादा दवाओं की जरूरत
शोधकर्ताओं के अनुसार दो उपचार ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन की सोट्रोविमैब और एस्ट्राजेनेका की एवुशेल्ड ने वायरस को बेअसर करने की कुछ क्षमता बरकरार रखी। हालांकि, उन्हें पहले के संस्करणों की तुलना में ओमिक्रोन को बेअसर करने के लिए तीन से 100 गुना अधिक दवाओं की आवश्यकता हुई।
स्पाइक प्रोटीन में ओमिक्रोन के दर्जनों उत्परिवर्तन
अध्ययन से यह भी पता चला कि लिली और रेजेनरान के दो एंटीबाडी उपचार सामान्य खुराक पर ओमिक्रोन को बेअसर करने में असमर्थ रहे। शोधकर्ताओं ने कहा कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि ओमिक्रोन वैरिएंट सार्स-सीओवी-2 वायरस के पहले के स्ट्रेन से किस प्रकार भिन्न है। स्पाइक प्रोटीन में ओमिक्रोन के दर्जनों उत्परिवर्तन होते हैं, जिनका उपयोग वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और उन्हें संक्रमित करने में करता है।
एंटीवायरल गोलियां कारगर
अधिकांश एंटीबाडी को मूल स्पाइक प्रोटीन को बांधने और बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया था और प्रोटीन में बड़े बदलाव एंटीबाडी को इसके साथ संलग्न होने की संभावना कम कर सकते हैं। इसके विपरीत एंटीवायरल गोलियां मालीक्युलर मशीनरी को लक्षित करती हैं जिनका उपयोग वायरस कोशिकाओं के अंदर खुद की प्रतियां बनाने के लिए करता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट में इस मशीनरी में केवल कुछ बदलाव हैं, जिससे इस बात की अधिक संभावना है कि दवाएं इस प्रतिकृति प्रक्रिया को बाधित करने की अपनी क्षमता बनाए रखेंगी।
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